कोरोना की दूसरी लहर में यूपी सरकार ने पंचायत चुनाव करा दिया और बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों की मौत हो गई।
इसी बीच गोरखपुर में एक शिक्षिका की कोरोना से मौत हो गई जिनकी ड्यूटी सरकार ने पंचायत चुनाव में लगाई थी। उनके पति शिवशंकर प्रजापति के अनुसार यूपी में हुआ पंचायत चुनाव लोकतंत्र का नहीं बल्कि मौत का त्योहार मनाया गया है।
पूर्व सीएम एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीटर पर इस घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि “पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी और चुनाव कराने वाले सरकारी शिक्षक लगातार अपनी जान गंवा रहे हैं।
चुनाव की आड़ में मौत बांटी गई है। ये हत्याएं हैं। इन मौतों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और हर मरने वाले को इंसाफ मिलना चाहिए।”
अपनी शिक्षिका पत्नी को खोने वाले गोरखपुर के शिवशंकर प्रजापति के अनुसार "यूपी पंचायत चुनाव लोकतंत्र नहीं मौत का त्यौहार है".. चुनाव प्रत्याशी व ड्यूटी में लगे शिक्षक अपनी जान गँवा रहे हैं।चुनाव की आड़ में मौत बांटी गयी है।ये हत्याएं हैं,इनकी जवाबदेही तय हो व हर मृतक को इंसाफ मिले।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 20, 2021
इसके पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि यूपी का पूरा शिक्षा जगत प्रदेश की भाजपा सरकार के रवैये से बेहद आक्रोश में है।
सरकार शिक्षकों एवं शिक्षामित्रों के प्रति तिरस्कारपूर्ण रवैया अपना रही है। उनकी मौतों पर उनकी उपेक्षा कर रही है।
यूपी की योगी सरकार पंचायत चुनाव में कोरोना से मरने वाले शिक्षकों की संख्या सिर्फ 03 बता रही है जबकि बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षामित्र कोरोना की वजह से मर चुके हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी शिक्षक संघ ने सरकार को 1621 मृतकों की सूची सौंपी है। सरकार इस सूची के अनुसार मुआवजे का मान न देकर मरने वाले शिक्षकों और शिक्षामित्रों का अपमान कर रही है।
मालूम हो कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच यूपी में पंचायत चुनावों की घोषणा कर दी गई।
विपक्ष लगातार कहता रहा कि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए पंचायत चुनाव स्थगित कर दिया जाए लेकिन योगी सरकार ने किसी की नहीं सुनी और पंचायत चुनाव करा दिए गए।
इस चुनाव में बड़ी संख्या में चुनाव ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गए। इनमें बड़ी संख्या में प्रदेश के शिक्षक एवं शिक्षामित्र शामिल थे।
कोरोना संक्रमित कई शिक्षकों एवं शिक्षामित्रों की मौत हो गई।शिक्षक संघ का दावा है कि पंचायत चुनाव की वजह से 1621 शिक्षकों की मौत हुई है।
वहीं योगी सरकार ने इन शिक्षकों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम करते हुए कह दिया कि 1621 लोगों की मौत का आंकड़ा बेबुनियाद है, पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान सिर्फ 03 शिक्षकों की मौत हुई है। सरकार के इस दावे से यूपी के शिक्षकों में सरकार के प्रति आक्रोश का माहौल है।