उत्तर प्रदेश के बागपत में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों को बेतुकी सलाह दी है। सीएम योगी ने किसानों से कहा है कि वो गन्ने के अलावा खेतों में दूसरी फसल उगाने पर भी ध्यान दें।

उन्होंने कहा कि गन्ने की ज्यादा खेती की वजह से शुगर (चीनी) की खपत भी बढ़ती है। जिससे लोगों को डायबिटीज होती है। उन्होंने गन्ना किसानों को सलाह देते हुए कहा कि वे गन्ने के अलावा और भी फसलें खेतों में उगाने की आदत डालें।

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सीएम योगी के इस बेतुके बयान पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पलटवार किया है।

अखिलेश ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “भाजपा सरकार गन्ना-बक़ाया न चुकाने से जिस तरह गन्ना किसानों का विरोध झेल रही है उस आग में अब प्रवचनीय मुख्यमंत्री जी ने ये कहकर घी डाल दिया है कि गन्ना न उगाएँ इससे डायबीटीज बढ़ती है।”

अखिलेश यादव ने भाजपा समर्थकों पर दो टूक बोलते हुए और सीएम योगी के लिए सलाह देते हुए आगे लिखा की, “इससे अच्छा वो (योगी आदित्यनाथ) एक सलाह अपने मतांध समर्थकों को दें कि वो समाज में हिंसा-नफ़रत की कड़वाहट न घोलें।”

गौरतलब है कि योगी सरकार के बनने के बाद से यूपी में मॉब लिंचिंग के मामले तेजी से बढे हैं।

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जिस समय उत्तर प्रदेश के किसान कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं, कर्ज़ की वजह से किसान अक्सर आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ऐसे में किसानों का कर्ज़ ना चूका कर उल्टा किसानों को ही ज्ञान देना योगी के किसान विरोधी आरोपों को और बल देता है जो विपक्ष उनपर लगाता रहा है।

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योगी के इस बयान से सरकार की मंशा साफ नजर आ रही है कि वो गन्ना किसानों का कर्ज़ माफ़ करने के मूड में नहीं है। योगी सरकार भले ही यूपी में किसानों की चौमुखी विकास की बात कह रही हो लेकिन, स्थिती इसके एकदम उलट है।

बता दें कि गन्ना समिति के मुताबिक, उत्तरप्रदेश में 2017-18 में गन्ना किसानों को उनकी फसल की रकम 6,500 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिली है।

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