सर्जिकल स्ट्राइक : मोदी सरकार पर आरोप है कि वो अपने राजनीतिक एजेंडे को फ़ैलाने के लिए सरकारी मशीनरी का अनैतिक रूप से उपयोग कर रहे हैं। और अब इसमें उन्होंने शिक्षा संस्थानों को भी नहीं बख्शा है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर के विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षण संस्थानों को ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ मनाने का निर्देश दिया है।

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ऐसा नहीं है कि इस देश की सेना ने पहली बार 29 सितंबर 2016 को किसी दूसरे देश में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। लेकिन भाजपा जब से अभी तक सेना के शौर्य को अपने हित में भुना रही है।

2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की सेना की वर्दी और सर्जिकल स्ट्राइक के नारे के साथ लगे पोस्टर से आज शिक्षा संस्थानों में इसका जश्न मनाने का आदेश देना दिखाता है कि देश की राजनीति को किस तरफ मोड़ा जा रहा है। जब सरकार के पास खुद अपनी कोई उपलब्धि नहीं है तो वो सेना के काम का श्रेय लेने में लगी है।

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यूजीसी ने इस आदेश के साथ कुछ सुझाव भी दिए हैं। जिसमें सेवानिवृत्त सैनिकों से छात्रों का वार्तालाप, विशेष परेड, झांकियां और सेना के प्रति अपने समर्थन को दर्शाते हुए ग्रीटिंग कार्ड्स बनाना इन सुझावों में शामिल हैं।

बता दें, कि 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने एक गुप्त ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के सीमा में मौजूद आतंकी संगठनों के अड्डों पर हमला कर उन्हें काफी क्षति पहुंचाई थी।

यूजीसी के पत्र में कहा गया है, “सभी विश्वविद्यालयों की एनसीसी यूनिट्स को 29 सितंबर को विशेष परेड का आयोजन करना चाहिए, जिसके बाद एनसीसी के कमांडर सरहद की रक्षा के तौर-तरीकों के बारे में उन्हें संबोधित करें।

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विश्वविद्यालय सशस्त्र बलों के बलिदान के बारे में छात्रों को संवेदनशील करने के लिए पूर्व सैनिकों को शामिल करके स्पीच सेशन का आयोजन कर सकते हैं।

पत्र में कहा गया है कि 29 सितंबर को इंडिया गेट के आस-पास एक मल्टीमीडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। देश भर में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, महत्वपूर्ण शहरों और छावनियों में इसी तरह की प्रदर्शनी आयोजित की जा सकती है।

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संस्थानों को छात्रों और संकाय सदस्यों को इन प्रदर्शनियों का दौरा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

फोटो साभार : ANI

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