देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बनी स्थिति पर भारत की न्यायपालिका भी काफी सक्रिय बनी हुई है। देशभर के अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के साथ वैक्सीन की किल्लत पर अब अदालतों ने भी सख्त रवैया अपनाया हुआ है।

बीते कुछ दिनों से इस संदर्भ में जहाँ सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। वहीँ देश की कई हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकारों को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है।

इसी बीच खबर सामने आ रही है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को लताड़ लगाई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य में लोग ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। सरकार के दावे और हकीकत में अंतर है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना आपराधिक कृत्य, सरकार का यह कृत्य नरसंहार से कम नहीं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान लखनऊ और मेरठ के जिलाधिकारियों को आदेश जारी किए हैं। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि जिलों में ऑक्सीजन की किल्लत से मरने वाले लोगों की खबरों की पुष्टि की जाए।

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में भले ही कोरोना संक्रमित मामलों में कमी आई है। लेकिन मौतों का आंकड़ा अभी भी ज्यादा है जो कि चिंताजनक स्थिति है।

बीते 24 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश में लगभग 26 हजार कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही लगभग 350 लोगों की मौत हुई है।

इस वक्त नोएडा और गाजियाबाद में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

सरकार द्वारा स्थिति को कंट्रोल करने के लिए किए जा रहे इंतजामों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को पहले भी फटकार लगाई है।

दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों अपना पल्ला झाड़ते हुए यह ऐलान किया था कि यूपी में ऑक्सीजन और बेड्स की कोई कमी नहीं है।

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