ये घटना है यूपी के फतेहपुर के असोथर ब्लॉक के बब्बू का डेरा मजरे सरकंडी निवासी बेटन की पत्नी शिवकली की. रोज की तरह शिवकली रविवार को भी जंगल जा रही थी.

बारिश की वजह से जंगल के रास्ते में काफी कीचड़ हो गया था. शिवकली फिसल पड़ी और गिर गई. उसे काफी चोट आई. दाहिना पैर और और कमर में दर्द के मारे वह कराह रही थी.

बेटे राममिलन ने अपनी मां का यह दर्द नहीं देखा जा रहा था. वह अपनी मां को अस्पताल पहुंचाने के लिए परेशान था. बारिश तेज होने की वजह से कोई भी वाहन गांव तक नहीं पहुंच सकता था.

राममिलन ने एंबुलेंस को कॉल किया तो उसने गांव तक की खराब सड़क का हवाला देते हुए आने से इंकार कर दिया.

थक हार कर राममिलन ने निजी वाहन से मां को अस्पताल पहुंचाने का फैसला किया. एक वाहन तैयार हुआ लेकिन उसने शर्त रखी कि गांव के सात किलोमीटर दूर मनावां मोड़ तक मरीज को लेकर आना होगा.

राममिलन के पास इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था. उसने वाहन चालक की बात मान ली.

राममिलन ने अपनी घायल मां को चारपाई पर लिटाया और अपने भाई तथा अन्य परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर उन्हें सात किलोमीटर दूर तक पैदल लेकर गया.

रविवार से लेकर शुक्रवार तक परिवार के सदस्यों ने मिलकर ऐसे ही मरीज को सात किलोमीटर तक लेकर गए और वापस आए.

राममिलन ने बताया कि रविवार को उसकी मां के दाहिने पैर के टूटने के बाद कच्चा प्लास्टर करके छोड़ दिया. फिर वापसी में ग्राम सभा के बर्रा बगहा तक वो वाहन लेकर पहुंचा और फिर उसी तरह से सात किलोमीटर तक चारपाई पर लिटा कर लाना पड़ा.

एक बार फिर शुक्रवार को पक्के प्लास्टर के लिए अस्पताल उसी तरह से ले जाया गया और वैसे ही वापस लाना पड़ा.

इन दिनों यूपी में विकास के बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं. हर मामले में प्रदेश को नंबर वन बताया जा रहा है.

इस एक घटना ने योगी सरकार के सारे विकास के दावों की हवा निकाल कर रख दी है. एक ऐसा प्रदेश जहां बुनियादी सुविधाओं का हाल भी बेहद खस्ता है.

एक ऐसा प्रदेश जहां एंबुलेंस को बुलाया जाता है, लेकिन वह इस वजह से आने से इंकार कर देता है क्योंकि चार किलोमीटर तक सड़क की नहीं बनी हुई है.

जिस प्रदेश में सड़कों की ऐसी दुर्दशा हो.. आखिर किस आधार पर उसे नंबर वन बताया जा रहा है, ये सोचने वाली बात है.

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