मोदी सरकार द्वारा फेक न्यूज़ के नाम पर पत्रकारों पर कार्रवाई के फैसले की अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने आलोचना की है। अखबार ने इस फैसले के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नक्शेकदम पर चलने वाला बताया है।

बता दें, कि सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन देते हुए बताया था कि सरकार फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई करेगी। कहा गया था अगर कोई पत्रकार फेक न्यूज़ फैलाते हुए पाया गया तो उसकी प्रमाणिकता को छह महीनों के लिए रद्द कर दिया जाएगा।

लेकिन इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इस फैसले को पलटते हुए प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया को ये ज़िम्मेदारी दे दी।

अख़बार ने लिखा है कि ‘फेक न्यूज़’ को उसी तरह पेश किया गया है जिस तरह अक्सर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प अपने विरोध में लिखी गई ख़बरों को फेक न्यूज़ के तौर पर पेश करते हैं।

मीडिया को इस तरह नियंत्रित करने की कोशिश विश्व की सभी निरंकुश सरकारे कर रही हैं। ये टर्म इन सरकारों के द्वारा अपनी विरोधी खबरों के लिए प्रयोग किया जा रहा है।

अखबार ने लिखा है कि पीएम मोदी के डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अच्छे रिश्ते हैं। इसलिए वो भी आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी विरोधी ख़बरों को दबाना चाहते हैं।

फैसले के पलटने के कदम का बहुत से पत्रकारों ने स्वागत किया है लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि ये फैसला ये देखने के लिए लिया गया था कि ऐसे फैसले के विरोध में कितना विरोध हो सकता है। इसलिए बिना कुछ कहे इसे बाद में वापस ले लिया गया।

अख़बार ने ये भी लिखा है कि मोदी सरकार फेक न्यूज़ को लेकर कार्रवाई की बात कर रही है। जबकि ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, मंगलवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी समेत 13 केन्द्रीय मंत्रियों ने खुद फर्ज़ी खबर को पोस्ट किया था।

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