मूर्ति सियासत में आज सत्ता में बैठे उच्च पदों के लोगों ने अपनी चुप्पी तोड़ दी। ऐसा तब हुआ जब अपनी विचारधारा से मेल खाते जननायक की मूर्ति को खंडित किया गया। सुबह होते होते प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक सभी ने सविंधान की राह पर चलने पर बात कही और राज्य में शांति बनाये रखने के साथ साथ घटना की भी कड़े शब्दों में निंदा की।

इन सबमें एक शख्स था जिसके बयान का इंतजार सभी को था। क्या विपक्षी और क्या पत्रकार, त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने के तीसरे दिन अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा घटना की निंदा की.

उन्होंने लिखा मैंने तमिलनाडु और त्रिपुरा, दोनों पार्टी इकाइयों से बात की है। किसी भी मूर्ति को नष्ट करने के कृत्य में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े किसी भी व्यक्ति को संलिप्त पाए जाने पर पार्टी द्वारा गंभीर अनुशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा


अब यहां सवाल ये उठता है की अमित शाह जो कह रहे उसे कैसे मान लिया जाये । मायावती को गाली देने वाले शख्स को पार्टी से निकालने का ढोंग रचा गया फिर उसे पार्टी में ले लिया। साथ में विधानसभा में उसकी पत्नी को टिकट देकर जो परिवारवाद बढ़ावा दिया है वो किसी से चुपा नहीं।

सबसे बड़ा सवाल जो बीजेपी प्रमुख से पूछना चाहिए की क्या उन्होंने त्रिपुरा मामले पर बीजेपी नेता राम माधव के बयान पर सफाई मांगी जिन्होंने लेनिन की मूर्ति गिराए जाने को जायज़ ठहराया था।

शाह को ये भी बताना चाहिए की तमिलनाडु के बीजेपी नेता को पेरियर की मूर्ति गिराए जाने का रास्ता क्यों दिखया क्या सब योजना तहत था। अगर ऐसा नहीं था तो इन दोनों नेता के खिलाफ एक्शन लेकर राजनीति में नई नज़ीर पेश करें तो बेहतर होगा नहीं तो जनता का दयाशंकर को निकले जाने फिर पार्टी में दुबारा शामिल करने का ढोंग तो याद ही है।

अमित शाह की तरफ से आगे कहा गया कि हमारा मानना है कि विभिन्न सिद्धांतों एवं विचारों का सह-अस्तित्व भारत की महान विरासत है। यह भारत की विविधता और संवाद एवं परिचर्चाओं में जीवंतता की भावना ही है जो हमें मजबूत बनाए रखती है।’


उम्मीद है अमित शाह इस बयान को आगे जाकर कहीं जुमला न कह दें क्योकिं अगर ऐसा हुआ तो आने वाले अच्छे दिन छोड़िये ठीक दिन की कल्पना मुश्किल से की जा सकेगी।

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