मोदी सरकार को अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ की भारतीय शाखा से आलोचना मिल रही है। ये आलोचना है सरकार द्वारा UAPA बिल में कराए गए संशोधन की वजह से। एमनेस्टी इंडिया के हिसाब से मोदी सरकार इस कानून के ज़रिए अपना एजेंडा पूरा कर रही है।

ट्वीटर पर लिखते हुए एमनेस्टी इंडिया ने कहा कि, संसद के दोनों सदनों में UAPA बिल का पास होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और कन्वेंशन्स को सरकार द्वारा उनके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नहीं चुनना जाना चाहिए। आतंकवाद से लड़ा जाना चाहिए मगर मानव अधिकार की कीमत पर नहीं ।”

दरअसल, मोदी सरकार ने लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी UAPA बिल का ‘विवादस्पद’ संशोधन पास करवा लिया है. ये बिल सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है। इसको लेकर विपक्ष के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि सत्ताधारी इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।

UAPA बिल एक आतंक विरोधी कानून है। इसका पूरा नाम है अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल, यानी की UAPA बिल। 24 जुलाई को ये बिल लोकसभा में पास हो चुका था और 2 अगस्त को राज्यसभा में भी पास हो गया है।

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इस बिल का विरोध केवल इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि इसका ग़लत इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बिल में आतंक और आतंकवादी जैसे शब्दों की परिभाषा साफ़ नहीं है। सरकार को इस बिल के कारण किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित का अधिकार है। ऐसा प्रावधान पुराने कानून में पहले से ही हैं लेकिन वो ‘आतंकवादी संगठन’ पर लागू होता है।

अब इसके ज़रिए सरकार किसी ‘एक व्यक्ति’ को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है। इस बिल से सबसे बड़ा ख़तरा सत्ता के विरोध में उठी आवाज़ों को होगा।

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