वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 में पीएमओ एक लेटर भेजा है जिसे देखकर लगता है कि उन्हें सरकार द्वारा नियुक्त कानून अधिकारिओं पर भरोसा नहीं है।

द वायर पर प्रकाशित, पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी की इस न्यूज़ रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है।

इस लेटर में जेटली ने कहा है कि ऐसे 23 इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन के मामले हैं जिसके लिए नियुक्त कानून अधिकारियों की इतनी काबिलियत नहीं है कि वो इन मामलों को सुलझा सकें।

जेटली ने ये लेटर मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा को लिखा था, जिसके साथ उन्होंने एक अज्ञात मित्र का दिया नोट भी लगाया था।

चिंता कि बात ये है कि इन्ही अर्बीट्रेशन्स के लिए जनता का दिए हुए अरबों डॉलर टैक्स लगाया जाता है। इन मामलों में सरकार के कईं मंत्रालय; जैसे कि माइंस और हैवी इंडस्ट्रीज शामिल हैं।

इन्हीं २३ मामलों में से २२,१०० करोड़ रूपए का वोडाफोन केस भी शामिल है।

जेटली का ये भी सुझाव था कि एक कोऑर्डिनेटिंग मिनिस्ट्री होनी चाहिए जो कि इन अर्बीट्रेशन्स को हर दिन ट्रैक रखे।

एक तरफ जेटली का ये नोट, घटिया हैंडलिंग के कारण खजाने पर भारी प्रभाव पड़ने पर ध्यान खींचता है, वहीं दूसरी तरफ ये स्पष्ट नहीं है कि मोदी ने अपने वित्त मंत्री द्वारा बताई गई अक्षमताओं को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

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