क्या एक लोकतांत्रिक देश में कोई पत्रकार सिर्फ इसलिए गिरफ्तार हो सकता है कि उसने किसी का इंटरव्यू लिया हो? इसका बहुत आसान सा जवाब है- ‘नहीं’, ये गलत होगा पत्रकार का तो काम है सवाल करना, इंटरव्यू लेना। मगर जो कहीं नहीं होता वो उत्तर प्रदेश में होता है, और अभी जो हुआ है वो है एक पत्रकार की गिरफ़्तारी।

दरअसल रेमन मैग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय कश्मीर मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने अयोध्या पहुंचे हुए थे। जहां पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने पाण्डेय को कुछ दिनों पहले ही उन्हीं के घर पर ही नजरबंद रखा था।

इंटरव्यू लेने पहुंचे पत्रकार शाह आलम को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आलम ने फेसबुक पर लिखा, संदीप के पाण्डेय के इंटरव्यू के दौरान उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया। फेसबुक पोस्ट के तस्वीरों में संदीप पाण्डेय पुलिस जिप्सी में दिख रहे हैं।

अयोध्या जिला प्रशासन ने रेमन मैग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित दो दशक पुराने साथी संदीप का इंटरव्यू के दौरान शाह को गिरफ्तार किया। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के सदस्य शाह के अयोध्या निवास परAdmin

Shah Alam ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಭಾನುವಾರ, ಆಗಸ್ಟ್ 18, 2019

इस मामले पर संदीप पाण्डेय ने कहा कि अचानक से हमारे घर पर सुबह पुलिस की चार वैन आई और उन्होंने हमसे कहा कि शहर में निषेधाज्ञा लागू होने की वजह से हम धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि निषेधाज्ञा स्वतंत्रता दिवस के बाद हटेगी। मैंने उनसे कहा कि निषेधाज्ञा हटने के बाद ही हम धरना-प्रदर्शन करेंगे।

पिछले करीब एक सप्ताह के दौरान पुलिस ने उन्हें कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी बात रखने से तीन बार रोका। उन्हें 11, 16 और 17 अगस्त को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। देश में अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में है।

उन्होंने कहा कि हम कल अयोध्या में धार्मिक सौहार्द से जुड़े दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे, लेकिन हमें रास्ते में ही रोक लिया गया। जिस तरह से कार्यक्रमों को रोका जा रहा है, उससे लगता है कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गयी है।

पिछली 16 अगस्त को हमें कैंडल मार्च निकालना था लेकिन हमें हजरतगंज की तरफ नहीं जाने दिया गया। हमें अपने कार्यक्रम स्थल तक नहीं जाने दिया जा रहा है। हमारा 11 अगस्त का विरोध प्रदर्शन कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली के मुद्दे पर था। स्वायत्तता तो लोकतंत्र की आत्मा है।

हालाकिं प्रशासन ने उन्हें नज़रबंद करने से इनकार कर दिया लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि पाण्डेय से पहले ही इको गार्डन में धरना देने को कहा गया था, मगर उन्होंने वह बात नहीं मानी। जहां तक उन्हें नजरबंद करने की बात है तो ऐसा कुछ भी नहीं किया गया था।

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