मंसूर के भाई वसीम कहते हैं- सीने पर तीन गोलियां लगी थी और होंठो पर कढ़ी चावल लगा था, ये दिखाता है कि उसको कढ़ी-चावल खिलाया गया और खिलाने के बहाने गोली मार दी गई.
उत्तरप्रदेश में पुलिस के फर्ज़ी एनकाउंटर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस अब सिर्फ जुर्म में शामिल लोगों का ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से अस्थिर लोगों का भी एनकाउंटर कर रही है।
‘द प्रिंट’ की खबर के अनुसार, यूपी पुलिस ने मेरठ के पास के एक गाँव पल्लवपुरम में मंसूर नाम के एक व्यक्ति का पिछले साल सितम्बर में एनकाउंटर किया था। मंसूर के परिवार वालों का कहना है कि वो मानसिक अस्थिर था।
मंसूर 3 साल पहले लड़ाई-झगड़े के एक मामले में कुरुक्षेत्र जेल से सज़ा काटकर आया था। उसके बाद से ही वो कुछ अजीब सी हरकते करने लगा था। जैसे घंटों तक बैठक में बेठना। गाँव में किसी के भी घर जाकर खाना मांगना। मानसिक संतुलन बिगड़ने से कभी अचानक ही भीख मांगना शुरू कर देता था। इलाज़ के लिए परिवार के पास पैसे नहीं थे तो युवक जहाँ तहां हाथ फैलाकर भीख मांगने लगता था। पिछले तीन साल से किसी भी प्रकार के अपराधिक मामले में उसका नाम नहीं आया था।
मंसूर की माँ जुबैदा बताती हैं कि 26 सितम्बर को तीन पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में घर पर आए थे। उन्होंने मंसूर को अपने साथ चलने के लिए कहा। जब मंसूर ने चलने से इंकार किया तो वो ज़बरदस्ती उसे वहां से ले गए।
मंसूर की पड़ोसी समरीना बताती हैं कि उन्होंने भी उन लोगों को मंसूर को ज़बरदस्ती ले जाते हुए देखा था। उस रात मंसूर घर नहीं लौटा और अगले दिन उसके एनकाउंटर की खबर आई।
वहीं पुलिस कहती है कि मंसूर और उसके दो साथियों ने मिलकर एक प्रॉपर्टी डीलर की कार बन्दूक की नोक पर छीनी थी। जिसके बाद प्रॉपर्टी डीलर ने पुलिस को बताया और पुलिस ने नाकाबंदी कर दी। मंसूर और उसके साथी एक नाके पर पकड़े गए लेकिन उन्होंने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी और जवाबी फायरिंग में मारे गए।
मंसूर के परिवार वाले बताते हैं कि पुलिस समेत पूरा गाँव जानता था कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है। परिवार वालों ने बताया कि जब हमने मंसूर का शव देखा तो उसके सीने पर तीन गोलियां मारी गई थी और उसके होठों पर कढ़ी-चावल चिपके हुए थे। वो कहते हैं शायद पहले उसे खाना खिलाया और उस दौरान ही गोली मार दी।
मंसूर के भाई वसीम कहते हैं- सीने पर तीन गोलियां लगी थी और होंठो पर कढ़ी चावल लगा था, ये दिखाता है कि उसको खिलाया गया और खिलाने के बहाने गोली मार दी गई.
बता दें, कि पिछले साल मई से ही यूपी पुलिस लगातार एनकाउंटर कर रही है। पुलिस पर कई फर्ज़ी एनकाउंटर के आरोप लगे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे अपराध को खत्म करने का तरीका बता चुके हैं। राज्य मानवाधिकार आयोग भी कई मामलों में चिंता जाता चुका है और जांच कर रहा है। आरोप है कि पुलिस निजी दुश्मनी और प्रमोशन के लिए फर्ज़ी एनकाउंटर को अंजाम दे रही है। साथ ही जाति और धर्म के आधार भी एनकाउंटर करने के आरोप लगे हैं।