जुलाई 2018 में ‘धड़क’ नाम की एक फिल्म रिलीज हुई थी।’धड़क’ नागराज मंजुले द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘सैराट’ का हिंदी वर्जन था। इस फिल्म को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों सम्मानित किया गया। सैराट की कहानी भारतीय समाज की क्रूर हकीकत है।
सैराट में जिस जातिवाद की क्रूरता को नागराज मंजुले ने पर्दे पर दिखाया था, उसका ताजा उदाहरण दक्षिण भारत स्थित राज्य तेलंगाना में देखने को मिला है। हैदराबाद से करीब 150 किलोमीटर दूर नलगोंडा जिले प्रणय कुमार और अमृता वर्षिणी अपनी शादीशुदा जीवन बिता रहे थे।
‘थे’ इसलिए लिखा क्योंकि प्रणय जातीय अंहकार की बलि चढ़ चुके हैं।
शुक्रवार यानी 14 सितंबर को प्रणय की बीच सड़क पर हत्या कर दी गई। प्रणय और अमृता ने छह महीने पहले ही अंतरजातीय विवाह किया था। 23 वर्षीय प्रणय दलित थे जबकि अमृता कथित ऊंची जाति माने जाने वाले सवर्ण समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। लेकिन दोनों ने जाति की जंजीरों को तोड़कर उन्मुक्त प्रेम किया।
दोनों स्कूल के दिनों से एक-दूसरे से प्यार करते थे और लड़की के माता-पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर दोनों ने शादी की थी। तब से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं।
पांच महीने की गर्भवती अमृता का कहना है कि प्रणय की हत्या उनके पिता मारुति राव ने की है।
हॉनर किलिंग का ये मामला शर्मसार करने वाला तो है ही साथ ही डरावना भी है कि हिंसक होता ये समाज आखिर चाहता क्या है।
रूढ़ियों से निकलकर नई सोच का विकास करने के बजाय हिंसक और कट्टर वारदातों को अंजाम देता ये समाज एक अपराधी है, जिसे इसकी सजा मिलनी चाहिए।