भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में योगी सरकार इस वक्त श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में हुए घोटाले को लेकर सवालों के कटघरे में है।

इस मामले में मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट के कई अधिकारियों पर जमीन की खरीदारी में किए गए घोटाले के आरोप लगा है।

भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण में हुए इस घोटाले से संत समाज में भी भाजपा सरकार के लिए नाराजगी देखने को मिल रही है।

न्यूज़ चैनल आज तक पर आयोजित किए गए एक डिबेट शो में अयोध्या के चौबुर्जी मंदिर के महंत बृजमोहन दास ने भी जमीन की खरीदारी में हुए घोटालेबाजी पर सवाल खड़े किए हैं।

महंत बृजमोहन दास ने कहा है कि सबसे पहले तो मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि जो 135 नंबर की जमीन है। यह जमीन मेरी है। इस जमीन पर शुरू से ही मेरे गुरु रामआसरे दास का कब्जा चला आ रहा है। इस पर हम खेती किया करते थे।

लगभग ढाई महीने पहले एडीएम प्रशासन संतोष कुमार ने बताया कि यह जमीन श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को चाहिए। इस जमीन को आप खाली कर दें। उनके कहने पर हमने यह जमीन खाली कर दी थी।

महंत बृजमोहन दास का कहना है कि उनके गुरु ने राम जन्मभूमि के सामने की जमीन विश्व हिंदू परिषद को दान में थी थी। इसलिए मैंने भी श्री राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को यह जमीन मुफ्त में दे दी।

मुझे इस बारे में बिल्कुल कोई जानकारी नहीं है कि इस जमीन का कहां-कहां पर सौदा किया गया है। मुझे खुद यह सुनकर बहुत ही आश्चर्य हो रहा है कि जमीन को करोड़ों में बेचा गया है।

न्यूज़ चैनल पर इससे जुड़े कागजात दिखाते हुए महंत बृजमोहन दास ने दावा किया कि गाटा संख्या 135 की इस जमीन में उनके गुरु रामआसरे दास सिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है। यह जमीन नजूल की है और सरकारी है।

बता दें, श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने ढाई करोड़ की जमीन को लगभग साढ़े 18 करोड रुपए में खरीदा है।

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