पंजाब नेशनल बैंक के 13,600 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर लगातार जो जानकारियां सामने आ रही हैं उससे लगता है कि अगर मोदी सरकार चाहती तो घोटाले के आरोपी नीरव मोदी को देश छोड़कर भागने से रोक सकती थी।

बता दें, कि पीएनबी बैंक में 13,600 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। एक टीवी चैनल ने घोटाले से जुड़े दस्तावेज़ों के आधार पर इस घोटाले को 29000 करोड़ रुपये का बताया है। इस घोटाले में आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनके मामा मुहल चौकसी हैं। घोटाला सामने आने से पहले ही ये दोनों पूरे परिवार के साथ देश छोड़कर भागने में कामयाब हो गए।

नीरव मोदी देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के रिश्तेदार हैं। मुकेश अंबानी को मोदी सरकार का करीबी माना जाता है। हाल ही में स्विटज़रलैंड के दावोस शहर में हुए वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की बैठक में नीरव मोदी को भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ देखा गया था।

मामले में सामने आई नई जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने इस घोटाले के उजागर होने से एक साल पहले ही गहने और आभूषण सेक्टर में अनियमितताओं को लेकर खतरे के संकेत दिए थे। अगर सरकार के साथ बैंकों और सरकारी एजेंसियों ने सतर्कता बरती होती तो नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर काफी पहले ही शिकंजा कसा जा सकता था और वे इतने बड़े घोटाले को अंजाम देकर देश से भागने में सफल नहीं हो पाते।

इस घोटाले के सामने आने से पहले साल 2017 की सीवीसी रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने 5 जनवरी 2017 को सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों और पंजाब नेशनल बैंक सहित 10 प्रमुख बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में कुछ आभूषण कंपनियों खासतौर से जतिन मेहता के विनसम ग्रुप के खातों की अनियमितताओं के बारे में बातचीत की गई थी।

सतर्कता आयोग के सीवीसी केवी चौधरी ने मीडिया को बताया कि वह बैठक विनसम ग्रुप के जतिन मेहता द्वारा बैंको के साथ किए गए फ्रॉड पर बातचीत के लिए बुलाई गई थी। इसके अलावा जूलरी फर्म में फ्रॉड, बैंकिंग सिस्टम में गड़बड़ी, खरीददारों के अकाउंट्स और सोने के आयात पर भी चर्चा की गई थी।

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