‘कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं’ दुष्यंत कुमार की कविता की ये लाइन इन दिनों टीवी जगत पर फिट बैठती है। अभी तक पत्रकारिता की पढ़ाई में कहीं भी तेज आवाज में बात करना या कम से कम चिल्लाना तो नहीं बताया जाता है। मगर टीवी स्टूडियो में बड़े बड़ों से सवाल करने वाले अर्नब गोस्वामी के लिए ये आम बात हो चली है।

टीआरपी की रेस में लगातार पीछे होते जा रहे अर्नब और उनका चैनल रिपब्लिक टीवी पर एक बार फिर कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। जिसे कम से कम घर में बैठकर तो नहीं देखा जा सकता है, देश में पानी का संकट हो या बाढ़ में लोग अपनी जान गवा रहे हो। मगर मजाल है कि टीवी पत्रकारिता में अपना नाम और चैनल बनाने वाले अर्नब उनकी आवाज़ उठाए।

मगर उन 49 हस्तियों पर हमला बोलने के लिए अर्नब बिलकुल तैयार है। हिंदी पट्टी के न्यूज़ चैनल अभी तक ये कोशिश कर रहे थे कि उनमें से किसी हस्ती को घेरा जाये। उससे पहले ही अर्नब ने बाज़ी मार ली। प्रेस कांफ्रेंस कर रही अपर्णा सेन पर अर्नब ने फोन लाइन से ही चिल्लाना शुरू कर दिया।

अर्नब ने फोन कॉल पर अपर्णा सेन पर चिल्ला चिल्लाकर हमला बोलना शुरू कर दिया। अर्नब ने कहा कि तुम और तुम्हारी पूरी लॉबी मुझे जवाब दे, तुम चुप क्यों हो? तुम मुझे सुन पा रही हो? बिना जवाब लिए अर्नब ने खुद ही जवाब दिया बिलकुल सुन पा रही है, अपर्णा सेन मैंने आपकी प्रेस कॉन्फ्रेंस बाधित कर दी है अब लोग आप ही को देख रहे है।

आप किस पार्टी से जुड़े हुए है जो इन मुद्दों पर सवाल उठा रही है, आप तब कहाँ थी जब विधायक जिग्नेश मेहवाणी ने कहा कि स्ट्रीट वॉर होगी? आप राजनितिक महत्वाकांक्षी बन रही है। आपको जवाब देना पड़ेगा आप रिपोर्टर को जवाब दीजिए?

ऐसे सवालों पर अपर्णा सेना ने हसंते हुए कहा मैं तुम्हारे सवालों का जवाब नहीं देने वाली हूँ।

दरअसल मोदी सरकार-2 में भी भीड़ हत्या और दलित मुस्लिमों पर होने वाले अपराधों पर फिल्म निर्देशक अदूर गोपालकृष्णन और अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन समेत 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री मोदी को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का हवाला देते हुए बताया की सिर्फ साल 2016 में 840 मामले दर्ज हुए जो सिर्फ दलितों के मामले में दर्ज हुए है। ऐसी घटनाओं पर सिर्फ निंदा करने से काम नहीं चलेगा।

पीएम मोदी को लिखी गई इस चिट्ठी में सविंधान का हवाला देते हुए लिखा गया कि अफसोस की बात है कि ‘जय श्री राम’ आज एक भड़काऊ नारा बन गया है।

भारत के बहुसंख्यक समुदाय में राम का नाम पवित्र हैं। एक जनवरी 2009 से 29 अक्टूबर 2018 के बीच 254 धार्मिक पहचान आधारित हिंसा दर्ज की गई है। जबकि 2016 में दलितों पर अत्याचार के 840  मामले सामने आए हैं।

पत्र में कहा गया है कि इन मामलों में मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा 62 प्रतिशत और क्रिश्चियन समुदाय के खिलाफ 14 प्रतिशत मामले देखे गए है। प्रधानमंत्री मोदी आपने संसद में लिंचिंग की निंदा की वो काफी नहीं है।

इस चिट्टी पर अर्नब को सवाल करना चाहिए था की आखिर उन हस्तियों को ऐसी चिट्टी लिखने की क्या ज़रूरत पड़ी? मगर अर्नब ऐसा नहीं कह पाए उन्होंने सीधा सीधा उन्हें आवार्ड वापसी गैंग करार देते हुए चिल्लाना ही शुरू कर दिया।

अर्नब के इस चिल्लाने पर पत्रकार बरखा दत्त ने सोशल मीडिया पर लिखा- जिस किसी ने भी ये देखा और इसे प्रचारित किया उसे न्यूज़ मीडिया पर आलोचना करने का कोई हक़ नहीं है। अगर ये पत्रकारिता है तो मैं भारत की प्रधानमंत्री हूँ।

वैसे अर्नब ने अपनी पढाई दिल्ली के बड़े कॉलेज सेंट स्टीफन और विदेश से पढ़ाई की है। मगर वो जिस तरह से अपर्णा सेन से बात कर रहे थे ऐसा कहीं भी नहीं लगा। फोन लाइन पर लगभग धमकाने के लहजें में अर्नब एक गली बॉय समझ आ रहे थे। जो सिर्फ दूसरे को परेशान करते है उनपर चिल्लाते है।

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