‘वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचाकर कुछ लोग चुनावी पराजय की खीझ उतार रहे हैं। बिहार में मंदी का खास असर नहीं है इसलिए वाहनों की बिक्री नहीं घटी है।’ ऐसा कहना है बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का जिन्होंने मंदी की वजह सावन भादो को बताया है।

दरअसल बीते रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जीडीपी गिरावट पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अगर जीडीपी की गिरावट जारी रही तो भारत के लिए बहुत मुश्किल स्थिति होगी। इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वो प्रतिशोध की राजनीति से बाहर आए और दिमाग़ से काम लेते हुए सभी की सुने। अर्थव्यवस्था की यह हालत सरकार की ग़लतियों से बनी है।

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अब मनमोहन सिंह की बात का पलटवार करते हुए सुशील कुमार मोदी ने मंदी की वजह को सावन भादो महीने से जोड़ दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए 32 सूत्री राहत पैकेज की घोषणा और 10 छोटे बैंकों के विलय की पहल से लेंडिंग कैपिसिटी बढ़ाने जैसे जो चौतरफा उपाय किये हैं, उनका असर अगली तिमाही में महसूस किया जाएगा।

गौरतलब हो कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर ​महज 5 फीसदी रह गई है।

जीडीपी किसी खास अवधि के दौरान वस्तु और सेवाओं के उत्पादन की कुल कीमत है। भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उत्पादन या सेवाएं देश के भीतर ही होनी चाहिए।

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इससे पहले ​मार्च तिमाही में जीडीपी 5.80 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही विकास दर 8 फीसदी दर्ज की गई थी। मौजूदा जीडीपी बीते 25 तिमाहियों मतलब कि पिछले 6 साल से अधिक वक़्त में ये सबसे कम जीडीपी ग्राथ रेट है।

वहीं अगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट और एग्रीकल्चर सेक्टर में सुस्ती ने देश की जीडीपी ग्रोथ को जोरदार झटका दिया है। इससे पहले, 2012-13 की अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4।9 फीसदी के निचले स्तर दर्ज की गई थी।

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