उत्तराखंड की पहाड़ी हो या फिर भयानक बाढ़ में फसें लोग, भारतीय सेना हर किसी की मदद के लिए सामने आती है। चाहे वो थल सेना, वायुसेना हो या फिर एनडीआरएफ। इन्हीं की मदद से मुश्किल में फंसे लोगों को बचाया जाता है। राहत सामग्री दी जाती है उन्हें इलाज दिया जाया है। मगर ये बात बहुत कम लोगों को पता है कि सेना इसके लिए सरकार से पैसे वसूलती है, जिसका आज भी करोड़ों रुपया कई राज्यों पर बकाया है।

दरअसल लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्रालय प्राकृतिक आपदा राहत कार्य के दौरान भेजी गई आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के काम का बिल राज्य सरकार को भेजता है। राज्य सरकार ये बिल राष्ट्रीय आपदा राहत निधि (एनडीआरएफ) को भेज देती है। जहां रक्षा मंत्रालय राज्य सरकार से संपर्क कर पैसे वसूलता है।

पिछले साल केरल में आई बाढ़ के दौरान आर्मी और वायुसेना को बुलाया गया था। वायुसेना ने अपने विमान से बाढ़ में फंसे कई लोगों की जान बचाई। जिसमें कुल 4371 लोगों को बचाया था। वहीं 1597 टन खाने-पीने सहित अन्य सामान हेलिकॉप्टर और विमानों से ढोया गया था। मगर आरटीआई से मिली एक जानकारी के अनुसार केरल सरकार पर अभी भी एयरफोर्स का 102 और नेवी का 3.18 करोड़ रुपये बकाया है।

जम्मू-कश्मीर में 2014 में आई बाढ़ में चले राहत कार्य के आर्मी को 42.44 करोड़, एयरफोर्स 244 करोड़ और मेडिकल सहायता के 51 करोड़ रुपये का बिल बना था। हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान सेना को लाने के लिए एयरफोर्स का 5.39 करोड़ रुपये का बिल बना। 2013 की केदारनाथ आपदा के राज्य सरकार पर एयरफोर्स के 265 करोड़ रुपये बकाया हैं।

कुंभ मेले के दौरान उज्जैन में आर्मी ने पुल बनाया था, जिसका बिल 9 करोड़ रुपये का बना था। जहां एक तरफ आर्मी राज्य सरकारों पर साल 2012 से लेकर साल 2018 तक 143 करोड़ रुपये आर्मी का 23 राज्यों पर बकाया हो चुका है। वही वायुसेना का साल 2010 से लेकर 2018 तक 633 करोड़ रुपये 16 राज्यों पर बकाया है।

अब अहम सवाल ये उठता है कि देश के ज़्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकार है। जो सबसे ज्यादा सेना और सैनिकों की हमदर्द बनती है। आखिर आर्मी से मदद लेकर उनका बकाया रखना कहाँ कि देशभक्ति है? भले ही सरकार सेना के नाम पर राजनीती क्यों ना करे मगर ज़मीन पर जब मदद भेजने के मामले में सेना मदद करती है तो सरकारें मदद पहुँचाने का पैसा भी बकाया कर देती है।

साभार- न्यूज़ 18

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