राफेल पर हुए नए खुलासे से पीएम मोदी समेत रक्षामंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बचाव अब झूठे का पर्दाफाश होता दिख रहा है।
राफेल डील कांग्रेस और अपने आलोचकों को कोसते हुए पिछले दिनों कहा था कि ‘आप रक्षामंत्री पर भरोसा करेंगे या उनपर, जिन्हें मंत्री पद नहीं मिला। शाह इस बयान से बीजेपी के दिग्गज नेताओं पर निशाना साधा था।
अब सवाल ये उठता है क्या सविंधान के शपथ लेने वाले भी झूठ बोले रहे है। क्योंकि पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राफेल पर बकाएदा एक ब्लॉग लिखा जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा था। जेटली ने लिखा 29 अगस्त के ब्लॉग में मैंने राफेल डील पर कांग्रेस के हर झूठ से पर्दा उठाया था।
झूठ फैलाने का यह अभियान कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में चल रहा है। उनकी रणनीति साफ है कि एक झूठ गढ़ो और इसे बार-बार दोहराओ। राफेल पर मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
वहीँ रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल डील पर सफाई देने बजाय कांग्रेस पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने कहा था एचएएल को लेकर कांग्रेस जो आरोप सरकार पर लगा रही है, इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है।
यह सब कांग्रेस की गलत नीतियों के चलते हुआ। कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि यूपीए सरकार के दौरान डसॉल्ट और एचएएल के बीच समझौता क्यों नहीं हो पाया?
बता दें कि फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू मोदी सरकार के दावों को ख़ारिज कर दिया है। ओलांद ने कहा कि भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे दैसॉ ने बातचीत की।
दैसॉ ने अनिल अंबानी से संपर्क किया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। हमें जो विकल्प दिया गया हमने स्वीकार किया।
इससे पहले मोदी सरकार ने दावा करते हुए कहा था कि दैसॉ और रिलायंस के बीच समझौता एक कमर्शल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।