त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराने के बाद शहरों में हिंसा अपने चरम पर है। लोग जगह जगह सत्ता आने का जश्न मना रहे है। 5 मार्च को शाम चार बजे तक त्रिपुरा में हिंसा की घटनाओं में 514 लोग घायल हुये हैं, 1539 घरों पर हमले किये गये, 196 घरों में आग लगायी गयी, माकपा के 134 पार्टी कार्यालयों को निशाना बनाया गया है और 208 पार्टी कार्यालयों पर कब्जा किया गया।

ये सभी हालत तब पैदा हुए जब त्रिपुरा में बीजेपी को सत्ता हासिल हुई। 4 दिन से जल रहे त्रिपुरा में बीजेपी का विकास खो गया सबका साथ सबका विकास छोड़ त्रिपुरा में अब ठीक से शांति स्थापित करना भी मुश्किल हो रहा है।

राज्य के 13 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है धारा 144 लगा दी गई है। मगर बीजेपी के नेता अभी भी इसे जस्टिफाई करने में लगे हुए। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनल तक हर जगह त्रिपुरा के हालत को सही ठहराने की कोशिश की जा रही है।

राजनैतिक दलों की तो बात दूर है खुद त्रिपुरा के राज्यपाल मूर्ति गिराए जाने को एक्शन का रिएक्शन वाला जवाब दे रहे है। बाकि उनसे जब न्यूज़ चैनल सवाल कर रहे है तो चुप्पी साध ले रहे है। इस मामले को लेकर माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्टी भी लिखी है।

बीजेपी के सभी बड़े नेता सविंधान के डर से ही सही इस बात की आलोचना तो करते नज़र आ रहे है मगर वो भी इस घटना को पिछले एक साल में हुई बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत से जोड़ रहे है।मतलब ये जब कार्यकर्ता मारे जा रहे थे तो कोई कुछ नहीं बोला तो अब भी सब मौन धारण कर लें।

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