एक यौन मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के महिला विरोधी तरीकों पर टिपण्णी की है।

यौन उत्पीड़न मामले में वकील ने अदालत द्वारा गवाहों को संरक्षण देने की मांग रखी।

इस मामले पर जस्टिस शिंदे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम जानते हैं जो उत्तर प्रदेश में हो रहा है, गवाहों को मार दिया जाता है, हम महाराष्ट्र मे ऐसी परिस्थिति नहीं चाहते…”

उत्तर प्रदेश तेज़ी से देश की आपराधिक राजधानी बनता जा रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने भारत रिपोर्ट 2018 में वार्षिक अपराध प्रकाशित की।

इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,78,277 मामले दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश 59,445 मामलों के साथ सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद महाराष्ट्र (35,497) और पश्चिम बंगाल (30-394) हैं।

साल 2019 में महिलाओं के साथ हुए कुल आपराधिक मामलों में 15% मामले अकेले यूपी मे रजिस्टर हुए हैं।

यही नहीं साल 2019 में उत्तर प्रदेश और राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। यूपी में ऐसे यूपी में 3,065 मामले दर्ज किये गए हैं।

साल 2019 में उन्नाव रेप केस मे दो गवाहों की सड़क दुर्घटना मे संदिग्ध हालातों मे हत्या हो गई थी। हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए रेप के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था।

पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर क्षेत्र की घेराबंदी कर दी और फिर बिना माता-पिता से पूछे रातों- रात मृतिका के शरीर का अंतिम-संस्कार कर दिया था।

यहीं नहीं पुलिस ने मीडियकर्मियों को घटनास्थल पर पहुँचने से भी रोका। इस बीच मामले की जांच के दौरान गवाहों और पीड़िता के वकील को अपनी सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।

जिसके बाद जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार और जिला अधिकारियों को अदालत परिसर के भीतर और उसके बाहर सुरक्षा के लिए सभी संभावित प्रबंध करने और मुकदमे के सुचारू संचालन का निर्देश दिया।

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