बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के एक जवान ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘असम्मान’ देने के मामले में 7 दिन वेतन काट लिया था। हालाकिं जब मामले ने तुल पकड़ा तो जवान को राहत दे दी गई और वेतन काटने का फैसला वापस ले लिया गया।
मगर सवाल अब भी वही है आखिर जवान की गलती क्या थी क्या वो प्रधानमंत्री मोदी उनके नाम से सम्बोधित नहीं कर सकता है।
दरअसल पश्चिम बंगाल में नादिया ज़िले की बीएसएफ 15वीं बटालियन हेडक्वार्टर है। जहां 21 फरवरी को ज़ीरो परेड के दौरान जवान संजीव कुमार ने ‘मोदी प्रोग्राम’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
जिसपर बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर अनुप लाल भगत ने संजीव कुमार के खिलाफ अनुशात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया।
इसके बाद सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनल तक इस मामले ने टूल पकड़ लिया आखिर में बीएसएफ प्रवक्ता को सामने आना पड़ा और अपना फैसला वापस लेना पड़ा ‘‘प्रधानमंत्री ने अप्रसन्नता जाहिर की और बल को निर्देश दिया कि वह दंड को तत्काल वापस लें।
आदेश को रद्द कर दिया गया और मामले से विवेकपूर्ण तरीके से नहीं निबटने के लिए संबद्ध कमांडेंट को आगाह किया गया।
हालाकिं सीमा सुरक्षा बल ने ये भी कहा की इस मामले के लिए जांच के आदेश दे दिए गए है। मगर जांच किस बात पर होगी?
क्या सेना जवान अपने प्रधानमंत्री का नाम नहीं ले सकता है या लिख सकता है। आगे श्री श्रीमति लगाना क्यों ज़रूरी है और खासकर की तब जब एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हो।