आर्थिक तंगी से जूझ रही देश की बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL खर्च में कटौती करने के लिए अपने आधे कर्मचारियों को वॉलंटरी रिटायरमेंट देने की तैयारी कर रही है।
इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में बीएसएनएल के चेयरमैन प्रवीण कुमार पुरवार ने कहा कि सरकार से मंजूरी मिलने के बाद बीएसएनएल अब 70 से 80 हज़ार कर्मचारियों को VRS यानी वॉलंटरी रिटायरमेंट देने की तैयारी में है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ज़ोरदार कटाक्ष किया है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “BSNL अपने आधे कर्मचारियों की छटनी करने की तैयारी में है भाइयों बहनो ‘राष्ट्र के लिए आप बेरोज़गारी सहेंगे की नही सहेंगे, सहना चाहिये की नही-सहना चाहिये, मैं 130 करोड़ हिंदुस्तानियों से पूछना चाहता हूँ सहना चाहिये की नही सहना चाहिये’ बोलो भारत माता की जय”।
BSNL अपने आधे कर्मचारियों की छटनी करने की तैयारी में है भाइयों बहनो "राष्ट्र के लिए आप बेरोज़गारी सहेंगे की नही सहेंगे, सहना चाहिये की नही-सहना चाहिये, मैं 130 करोड़ हिंदुस्तानियों से पूछना चाहता हूँ सहना चाहिये की नही सहना चाहिये" बोलो भारत माता की जय" https://t.co/b1zr1dBRSX
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) September 5, 2019
बता दें कि बीएसएनएल काफी लंबे समय से घाटे में चल रही है। कंपनी पर लगभग 15,000 करोड़ रुपए का कर्ज़ है। कंपनी ज़मीन लीज़ और रेंट पर देकर कर्ज़ से उबरने की कोशिश कर रही है।
बीएसएनएल के चेयरमैन प्रवीण कुमार प्रवीण कुमार ने अख़बार को बताया कि ज़मीन लीज़ और रेंट पर देकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। अभी हम 200 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद कर रहे हैं और इसे आसानी से 1000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। यह वार्षिक राजस्व है। अगले 12-15 महीनों में हमें इस पर जोर देना है।
आर्थिक तंगी से जूझ रही BSNL अपने 70-80 हज़ार कर्मचारियों को करेगी वक़्त से पहले रिटायर!
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कंपनी टावर्स को रेंट पर देकर भी कमाई कर रही है। कुमार ने कहा, ‘हमारे पास 68 हजार टावर्स हैं। 13-14 हजार टावर हमने दूसरों को दिए हैं। हम टावर्स की किरायेदारी बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं ताकि अतिरिक्त आमदनी आर्जित की जा सके।’
बीएसएनएल की कुल आमदनी का करीब 55 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है। इस खर्च में हर साल आठ फीसदी की बढ़ोत्तरी हो जाती है। आर्थिक तंगी के चलते बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को वेतन भी समय से नहीं दे पा रहा।
बीते आठ महीनों में तीन बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों को वेतन समय से नहीं मिला है। बीएसएनएल ने सरकार के सामने बैंकों से लोन लेकर अपने खर्चे पूरे करने का प्रस्ताव रखा लेकिन सरकार ने नामंजूर कर दिया।