प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले विवादों में आ गया है। मुंबई-अहमदाबाद के विरोध में करीब 1000 हज़ार किसान हाईकोर्ट पहुंच चुके है।

इस मामले में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों ने कोर्ट में अपील की है कि इस प्रोजेक्ट के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण न किया जाए।

दरअसल किसानों का कहना है कि केंद्र की इस 1.10 लाख करोड़ रूपये की परियोजना में वो बुरी तरह से प्रभावित हो रहें है। क्योंकि बुलेट ट्रेन के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले मार्ग किसानों की जमीन है जिसका अधिग्रहण सरकार कर रही।

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हाईकोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, मौजूदा भू-अधिग्रहण जापान इंटरनेशनल ऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के नियमों से अलग है।

किसानों ने अदालत में कहा, ज़मीन अधिग्रहण के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई है। साथ ही सरकार ने इस मामले उनसे कोई राय नहीं ली और ज़मीन ले ली।


गौरतलब हो कि इससे पहले भी किसानों ने कहा था कि ट्रेन के लिए ज़मीन अधिग्रहण और पर्यावरण प्रभाव पर नीति नहीं है। इसलिए काम के नाम पर खानापूर्ति हो रही है।

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किसानों का आरोप है कि एनएचएसआरसी ने उनसे ज़मीन अधिग्रहण के लिए ज़मीन की कीमत को लेकर भी बात नहीं की। अधिकारियों ने सीधा कहा कि किसानों को ज़िला कलेक्टरों से मुआवज़ा मिल जाएगा।

वहीँ किसानों का कहना है कि उनकी ज़मीन की कीमत सरकार द्वारा लगाई जा रही कीमत से ज़्यादा है।

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