उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने आज एक साल पूरा कर लिया है लेकिन गन्ना किसानों की स्तिथि पहले से बदतर होती जा रही है। एक तरफ राज्य में गन्ना किसानों को फसल की कीमत कम मिल रही है और जो मिल रही है वो भी पूरी नहीं मिल रही है। ये तब है जब भाजपा ने सत्ता में आने पर गन्ना किसानों को फसल की पूरी रकम दिलाने का वादा किया था।
गन्ना समिति के मुताबिक, उत्तरप्रदेश में 2017-18 में गन्ना किसानों को उनकी फसल की रकम 6,500 करोड़ रुपये कम मिली है। राज्य में चीनी मीलों ने 16 मार्च तक 25,349.96 करोड़ रुपये की फसल खरीदी। ये खरीद सरकार के तय किये हुए दाम 315 से 325 रुपये पर की गई।
चीनी मीलों को 25,349.96 करोड़ रुपये में से 14 दिनों के अन्दर 22,879.99 रुपये देने थे। लेकिन किसानों को केवल 16,380.78 रुपये ही मिले हैं। मतलब 6,500 करोड़ रुपये किसानों को कम दिए गए हैं।
बता दें, कि गन्ना किसानों को फसल की पूरी रकम न मिलना राज्य का पुराना मुद्दा है। पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आती है तो फसल की पूरी कीमत फसल बेचने के 14 दिनों के अन्दर किसानों को दिलाएगी। ये कानून पहले से ही उत्तरप्रदेश गन्ना (आपूर्ति और खरीद का नियमन) अधिनियम 1953 में है, ज़रूरत बस इसे सही से लागू करने की है।
लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद स्तिथि और ख़राब नज़र आ रही है। पिछले साल गन्ना किसानों के फसल की रुकी हुई रकम 4,175.48 करोड़ रुपये थी लेकिन इस साल रकम बढ़कर 6,500 करोड़ रुपये हो गई है।