मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले की जांच की रफ़्तार अब और अधिक धीमी होने वाली है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक, सीबीआई ने इस घोटाले की जांच कर रहे 70% अफसरों को वापस बुला लिया है।

क्या है व्यापम

2013 में सामने आया व्यापमं भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है। आरोप है कि साठगांठ कर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर भर्तियां की गईं। इस घोटाले के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार कर रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी गईं। राज्य की भाजपा सरकार से जुड़े कई लोगों के नाम इस घोटाले में आ चुके हैं।

क्या भाजपा की मदद कर रही सीबीआई?

सीबीआई ने ये फैसला लेते हुए 20 अफसरों को वापस बुला लिया है। ये विवादित फैसला तब लिया गया है जब इस घोटाले से जुड़े 50 मामलों की जांच अभी भी बाकी है। बता दें, कि इस घोटाले से जुड़े 50 से अधिक लोगों की संदिग्ध हालातों में मौत हो चुकी है।

केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार इस घोटाले में भाजपा नेताओं को बचाने के लिए सीबीआई का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है। इससे पहले सीबीआई मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा नेता उमा भारती को भी इस घोटाले में क्लीन चिट दे चुकी है।

ये कयास लगाई जा रही है कि घोटाले की जांच से अफसरों का कम करना राज्य की भाजपा सरकार के हक़ में हो सकता है। दरअसल, इसी वर्ष मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।

व्यापम घोटाला राज्य सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा मुद्दा है। लेकिन अगर अफसर ही कम होंगे तो जांच धीमी पड़ जाएगी और विपक्ष के पास घोटाले को लेकर चुनाव में भुनाने के लिए कोई नई जानकारी नहीं होगी।

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