जेल में बंद भीम आर्मी के संस्थापक एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ अब युवाओं का आदर्श बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक के युवा चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ की तस्वीरों को अपने घर की दिवारों को सजाने लगे हैं।

दलितों की आवाज बनकर उभरने वाले एडवोकेट चंद्रशेखर आज युवाओं में इंकलाब की चिराग बन चुके हैं।

बहुत पहले से दलित समाज के लोग अपनी शादी के कार्ड पर बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और बुद्ध की फोटो छपवाते रहे हैं। लेकिन मौजूदा वक्त में दलित समाज को एक और नायक मिल चुका है जिसकी तस्वीर वो अपनी शादी के कार्ड पर छपवाने लगे हैं। ये नायक है – एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’


सोशल मीडिया पर कई ऐसी शादी की कार्ड वायरल हो रही हैं जिसमें डॉ. अंबेडकर के साथ-साथ चंद्रशेखर ‘रावण’ की भी तस्वीर छपी हुई है। शादी कार्ड पर चंद्रशेखर ‘रावण’ की तस्वीर छपवाने वाले लोग इसके पीछे की वजह भी बता रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, घाटकोली के रहने वाले राकेश कुमार नौटियाल का कहना है कि कि आजाद उन लोगों के मसीहा हैं। राकेश के बेटे की शादी बीते 17 फरवरी को हुई है। उन्होंने भी उनके बेटे की शादी में डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर के साथ चंद्रशेखर आजाद की तस्वीर छपवाई थी।


उन्होंने कहा कि हर दलित आजाद को हीरो मानता है। उन्होंने समाज के लिए बहुत बलिदान दिया है। उन्हें सिर्फ इसलिए जेल भेज दिया गया क्योंकि वे दलितों के अधिकारों के लिए खड़े और लड़े। उन्होंने कहा कि उनके कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों में चंद्रशेखर की तस्वीर शादी के कार्ड में छपवाने का विरोध किया लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।

हरिद्वार के रहने वाले अमरदीप बुद्ध की शादी 18 मार्च को है। उन्होंने भी आजाद की तस्वीर उनके शादी के निमंत्रण पत्र में छपवाई है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। वह कहते हैं कि आजाद सच्चे दलित नेता हैं।

काशीराम के बाद कई दलित नेता आए लेकिन उन लोगों ने दलितों को सिर्फ वोट बैंक के लिए प्रयोग किया। आजाद दलितों के लिए आशा की किरण है। आजाद उनके लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर और गौतम बुद्ध की तरह हैं।


बता दें कि पिछले 8 जून से चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ जेल में है। आज़ाद की गिरफ्तारी के वक्त भीम आर्मी के और 42 भी कार्यकर्ता को जेल में बंद किया गया था। धीरे-धीरे सब छूट गए लेकिन चंद्रशेखर, सोनू पहलवान और कमल वालिया अब भी जेल में बंद हैं।

1 नवंबर 2017 को चंद्रशेखर और कमल वालिया को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत भी मिल गई थी लेकिन 22 नवंबर को चंद्रशेखर और सोनू पहलवान पर रासुका लगा दी गई। चंद्रशेखर की रिहाई के लिए लगातार प्रदर्शन और आंदोलन किए जा रहे हैं लेकिन सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा।

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