एक तरफ केंद्र भाजपा सरकार ये दावा कर रही है कि वो एससी/एसटी एक्ट को लेकर दलितों के साथ है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक्ट के फैसले की समीक्षा के लिए याचिका भी दायर की है। लेकिन इसी बीच तीन भाजपा शासित राज्यों ने इस एक्ट को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करना शुरू कर दिया है।

बता दें, कि 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी नहीं किए जाने का आदेश दिया था। एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केस में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी। अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए।

यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती। गैर-सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी ज़रूरी होगी।

इसी के विरोध ने में 2 अप्रैल को दलित संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था। इस दौरान कई जगहों से हिंसा की ख़बरें भी आई थी।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू कर चुके हैं। पूरे देश में दलित इसका विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद इन तीनों राज्यों ने इस एक्ट को अपने यहाँ लागू कर दिया है।

इतना ही नहीं अन्य भाजपा शासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश ने भी इस एक्ट को लागू करने के लिए अनाधिकारिक आदेश जारी किए हैं। वहीं हरियाणा एक्ट को लागू करने के लिए कानूनी सलाह लेने की बात कह रहा है।

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