एक तरफ ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा और दूसरी तरफ उन्हें अपना अधिकार मांगने पर प्रताड़ित करना देश की राजनीति का दोगलापन दिखाता है। उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में काम करने वाली महिला कर्मियों के साथ ऐसा ही हुआ है।

लखनऊ के गोमती नगर के विभूतिखंड स्थित साईबर हाईट में संचालित मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में काम करने वाली महिला टेलीकालरों द्वारा चार महीने से लटके वेतन की मांग करने पर कमरे में बंद कर उन्हें प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। जिसके चलते कुछ युवतियां बेहोश हो गई।

युवतियों को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पुलिस से भी प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत हो गई। इसके आलावा प्रशासन द्वारा चार महीने काम कराकर वेतन न देने और मांगने पर प्रताड़ित करने कारण एक लड़की ने ज़हर भी खा लिया है।

बता दें, इस हेल्पलाइन में सुरेविन बीपीओ सर्विसेज़ की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। आरोप है कि इस कम्पनी ने उन्हें चार महीने से वेतन ही नहीं दिया है। वेतन मांगने पर धमकी दी जा रही है। हेल्पलाइन में कार्यरत युवतियों ने बताया कि तीन चार महीने से हमें वेतन नहीं मिला। इसके लिए कई बार मांग उठाई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

आरोप है कि शुक्रवार सुबह वेतन की मांग करने पर ट्रेनर और सुपरवाइजर अनुराग और आशुतोष ने हेल्पलाइन की टेलीकॉलर 20 लड़कियों को एक कमरे में बंद कर दिया और सादे कागज पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया। इंकार करने पर उनका दुपट्टा खींच कर बदतमीज़ी की गई।

इस बीच मोहनलालगंज की शालू यादव, बिहार की शिवानी, मडियांव की सीमा, जौनपुर निवासी मंजू यादव और मडियांव की निवासी शमा नाज परवीन समेत कुछ लड़कियां बेहोश हो गईं| इसके बाद लड़कियों को कमरे में बंद करने वेले दोनों ट्रेनर भाग निकले। लड़कियों को लोहिया अस्पताल ले जाया गया।

युवतियों ने पुलिस पर भी किसी प्रकार की सहायता न करने बल्कि इसकी जगह उनपर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया है। टेलीकॉलरों ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले विभूतिखंड इंस्पेक्टर सत्येंद्र कुमार राय से मामले की शिकायत की गई लेकिन पुलिस ने उन लोगों को ही जेल बन्द करने की धमकी दी थी।

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