इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने आज (बुधवार) को साधु-संतों को लुभाने के लिए 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।

जिन साधुओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, उनमें नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने वाले महामंडलेश्वर कम्प्यूटर बाबा और योगेन्द्र सिंह समेत नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज और भय्यू महाराज का नाम शामिल है।

शिवराज सरकार के इस फ़ैसले पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा कि राज्य की शिवराज सरकार प्रत्येक मोर्चे पर विफल होने के बाद धर्म के घोड़े पर सवार होकर अपनी चुनावी नैया पार करना चाहती है।

मिश्रा ने कहा कि कंप्यूटर बाबा नाम के संत ने हाल ही में राज्य सरकार की ओर से निकाली गई नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने की चेतावनी देते हुए ‘नर्मदा घोटाला यात्रा’ निकालने की घोषणा की थी। इसके बाद सरकार ने प्रलोभन देते हुए कंप्यूटर बाबा समेत पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया।

मिश्रा ने कहा कि सरकार ने संत समाज को प्रलोभन दिया है। संतों को इस प्रलोभन को ठुकरा देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आम लोगों में संतों के प्रति सम्मान निश्चित तौर पर कम होगा।

वहीं, संत समाज भी शिवराज सरकार के इस फ़ैसले से नाराज़ है। इंदौर में लक्ष्मणदास महाराज ने कहा कि यह संत समाज के साथ गद्दारी है और इसका विरोध किया जाएगा। 13 अप्रैल को इंदौर में संत समाज की एक बड़ी बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही है।

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