TANYA YADAV

लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में UAPA बिल का ‘विवादस्पद’ संशोधन पास हो गया है। ये बिल सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है। इसको लेकर विपक्ष का कहना है कि सत्ताधारी इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।

दरअसल, UAPA बिल एक आतंक विरोधी कानून है। इसका पूरा नाम है अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल, यानी की UAPA बिल।

24 जुलाई को लोक सभा में पास हो चुका ये बिल अब 2 अगस्त को राज्यसभा में भी पास हो गया है। बिल में किए गए संशोधन का विपक्ष के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।

बिल का संसद में हुआ था विरोध

कांग्रेस नेता और सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्य सभा में बिल का विरोध किया। उन्होनें कहा कि “हमें भाजपा की मंशा पर शक है। कांग्रेस ने आतंकवाद पर कभी समझौता नहीं किया, इसलिए ये कानून ले आई थी। वो तो आप हैं जिन्होंने आतंकवाद के साथ समझौता किया है, एक बार रुबाई सईद जी की रिहाई के दौरान और दूसरा मसूद अज़हर को छोड़ कर।”

महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में इस संशोधन का विरोध करते हुए कहा था कि इसके ज़रिए जो भी सवाल करने वाले लोग हैं उनको आतंकवादी घोषित किया जा सकता हैं, उन्हें भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।

सरकार को संशोधन से मिले ये अधिकार

ध्यान देनी वाली बात है कि इस बिल का विरोध केवल इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि इसका ग़लत इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बिल में आतंक और आतंकवादी जैसे शब्दों की परिभाषा साफ़ नहीं है। सरकार को इस बिल के कारण किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित का अधिकार है। ऐसा प्रावधान पुराने कानून में पहले से ही हैं लेकिन वो ‘आतंकवादी संगठन’ पर लागू होता है। अब इसके ज़रिए सरकार किसी ‘एक व्यक्ति’ को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है।

गृह मंत्री अमित शाह ने संशोधन के विरोध का जवाब देते हुए कहा है कि कुछ लोग संस्था पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी नई संस्था बना लेते हैं। अब इस संशोधन के कारण सरकार किसी व्यक्ति की दलील सुने बिना ही उसको आतंकवादी घोषित कर सकती है।

विरोध में उठी आवाज़ों को दबाने की कोशिश?

तमाम विरोध के बावजूद सरकार ने बिल पास करा लिया। जो लोग सरकार के विरोध में आवाज़ उठाते रहते हैं, उन्हें डर है कि विरोधियों को आतंकवादी ना घोषित कर दिया जाए।

ऐसा देखा गया है कि सरकार का विरोध करने वाले लोगों नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है। अब अगर इस संशोधन के ज़रिए लोगों को आतंकवादी घोषित कर दिया जाएगा, तो सत्ताधारियों से सवाल पूछना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि सत्ता में बैठे लोग तो कभी नहीं चाहेंगे की उनसे सवाल पूछा जाए।

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