मुंबई के आजाद मैदान में 35,000 किसान अपनी मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन संघ की शाखा से ट्रेनिंग लेकर आए मुख्यमंत्री इन्हें किसान मानने को तैयार ही नहीं हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि मुंबई के आजाद मैदान में इकठ्ठा हुए लोग आदिवासी है जो तकनीकी रूप से किसान नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री विरोध प्रदर्शन को कमजोर करने के लिए झूठा बयान दे रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि देवेंद्र फडणवीस के लिए किसानों की परिभाषा क्या है? क्या जिनके पास ज्यादा जमीन होती हैं वो ही किसान होते हैं? क्या आदिवासी किसान नहीं होते? या फडणवीस इस बात को स्वीकार कर लिया है कि भाजपा ने आदिवासियों से उनकी पूरी जमीन छीन ली है इसलिए अब आदिवासी किसान हो ही नहीं सकते?
वही भाजपा सांसद पूनम महाजन ने किसानों को लेकर बहुत ही शर्मनाक बयान दिया है। उनका कहना है कि प्रदर्शन करने वाले लोग किसान नहीं बल्की ‘शहरी माओवादी’ हैं। ये सभी बयान बीजेपी की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
अगर पूनम महाजन और देवेंद्र फडणवीस की बात को मान भी लिया जाए तो क्या आंदोलन के जरिए जो सवाल उठाए जा रहे हैं वो गलत हैं?
CPIM ने पूनम महाजन के बयान कि निंदा करते हुए ट्वीट किया है कि ‘पूनम महाजन ये शहरी माओवादी नहीं हैं।
ये वो हैं जो देश का पेट भरते हैं। लेकिन हां, उनके पास अहंकारी को नीचे लाने की शक्ति भी है। ये आपके और आपकी पार्टी जैसे कॉरपोरेट के ऐजेंट नहीं हैं।’