समाज में दलित उत्पीड़न को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने ताज़ा रिपोर्ट्स जारी किये हैं जिसके अनुसार भारत में दलितों के पिछले 10 साल सबसे ख़राब रहें हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 सालों में भारत में दलित उत्पीड़न के मामलों में 66 फीसदी की बढ़त हुई है। इसके अलावा हर रोज 6 दलित महिलाओं के साथ देश में दुष्कर्म के मामले सामने आते हैं जो साल 2007 की तुलना में दोगुना है।

एनसीआरबी के इस रिपोर्ट के मुताबिक दलितों की हालत देश में इतनी ख़राब है कि यहां हर 15 मिनट में एक न एक दलित के साथ अपराध का मामला सामने आ ही जाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक जहां एक तरफ दलितों के साथ अपराध के मामलों में 66 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी तरफ पिछले चार साल में दलित विरोधी हिंसा के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। साल 2016 में दलित विरोधी हिंसा के 40,801 मामले दर्ज किए गए, जो साल 2011 में 33,719 थे।

हैरान करने वाली बात तो ये है की एनसीआरबी के इस रिपोर्ट में 2014 से 2016 तक भाजपा शासित राज्यों में दलित उत्पीड़न के सबसे ज्यादा मामले सामने आयें हैं। इस रिपोर्ट से भाजपा के चुनावी नारे ‘सबका साथ सबका विकास’ का सच भी सामने आ जाता है।

एनसीआरबी के रिपोर्ट के मुताबिक, दलित उत्पीड़न में सबसे ऊपर भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश है जहां 2016 में दलित उत्पीड़न के 4,922 मामले दर्ज किये गए, उसके बाद राजस्थान और उसके बाद बिहार और फिर गुजरात का नंबर आता है। इन सभी जगहों पर या तो भाजपा की सरकार है, या भाजपा ने यहां गठबंधन में सरकार बनाई है।

वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में उत्तरप्रदेश सबसे ऊपर रहा है। साल 2016 में उत्तरप्रदेश में दलित महिलों के साथ दुष्कर्म के 1065 मामले दर्ज किये गए। तो दलित उत्पीड़न के मामले में उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं रहा।

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