नोटबंदी और जीएसटी सूक्ष्म और लघु उद्योगों (एमएसएमई) के लिया कितने घातक रहे हैं ये बात इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की बैंकिंग स्तिथि बता रही है। एक आरटीआई में सामने आया है इस क्षेत्र से जुड़े बैंक डिफॉल्टरों की संख्या एक साल में दोगुनी हो गयी है। मतलब उनके पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं हैं।

इस तरह देखा जाए तो मोदी सरकार के ये दोनों कदम बैंकों के लिए भी नुकसानदायक रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का लोन डिफॉल्ट मार्जिन मार्च 2017 के 8249 करोड़ रुपए के मुकाबले मार्च 2018 तक बढ़कर 16118 करोड़ रुपए यानि कि लगभग दोगुना हो गया है।

यह आंकड़ा “द इंडियन एक्सप्रेस” ने आरटीआई के तहत प्राप्त किया है। आरटीआई से यह भी पता चला है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का एनपीए 82382 करोड़ रुपए से बढ़कर मार्च 2018 तक 98500 करोड़ रुपए हो गया है।

बता दें, कि यह लोन सूक्ष्म उद्योगों को प्लांट और मशीनरी में निवेश के लिए दिया जाता है, जो कि 25 लाख से लेकर 5 करोड़ तक हो सकता है।

आरटीआई से मिले जवाब में आरबीआई ने बताया है कि लोन डिफॉल्ट्स के मामले बीते साल मार्च से ज्यादा बढ़े हैं। गौरतलब है कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लोन डिफॉल्ट्स में से 65.32 प्रतिशत हिस्सा सरकारी बैंकों का है।

रिजर्व बैंक के अनुसार, छोटे उद्योगों को दिए जाने वाले आउटस्टैंडिंग एडवांस में पिछले साल के मुकाबले 6.72 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो कि 9,83,655 करोड़ रुपए से बढ़कर 10,49,796 करोड़ रुपए हो गया है।

p>इस से पहले आरबीआई ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कि नोटबंदी और जीएसटी ने देश के एमएसएमई यानि छोटे कारखानें और व्यापार को लाखों करोड़ रुपयें का नुकसान पहुँचाया है और बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगार किया है।

गौरतलब है कि देश में 6 करोड़ 30 लाख एमएसएमई इकाईयां हैं। ये क्षेत्र देश की जीडीपी में 30% का योगदान देता है। देश का 45% उत्पादन इन्ही एमएसएमई इकाईयों में होता है। निर्यात में इस क्षेत्र का 40% का योगदान है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here