रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने केंद्र सरकार की आर्थिक मदद करने के लिए उसे 1 लाख 76 हज़ार करोड़ से ज्यादा का फंड देने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन सरकार इन पैसों का इस्तेमाल कैसे करेगी, इसकी जानकारी उसे ख़ुद नहीं है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जब मीडिया ने पूछा कि सरकार इन पैसों का कैसे इस्तेमाल करेगी, तो उनका जवाब हैरान करने वाला था। उन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा कि बता नहीं सकती कि पैसों का कैसे इस्तेमाल करेंगे। उनके इस जवाब पर सोशल मीडिया पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय सह सचिव व पूर्व विधायक धीरज गुर्जर ने ट्वीट कर कहा, “अगर पैसों का नही पता की कैसे उपयोग होगा तो वित्त मंत्री की कुर्सी छोड़ो और चाय पकौड़े की दुकान खोल लो। रिज़र्व बैंक को लूटा जा रहा है”। 

इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने RBI द्वारा सरकार को फंड जारी किए जाने पर सवाल उठाए थे। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक से चोरी कर रही है। लेकिन, अब इससे कुछ नहीं होने वाला है। कांग्रेस का कहना है कि आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि सरकार को रिजर्व बैंक से पैसे लेने की जरूरत पड़ गई है।

ग़ौरतलब है कि आरबीआई बोर्ड ने सरकार को फंड जारी करने का फैसला RBI के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति की उस रिपोर्ट पर किया जिसमें सरकार को केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि और इसके लाभांश का हस्तांतरण करने के संबंध में सिफारिश की गई है।

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आरबीआई ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किए गए रिवाइज्ड इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर में साल 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये सरप्लस और 52,637 करोड़ अतिरिक्त प्रावधानों से आया पैसा शामिल है।

बता दें कि इससे पहले इसी प्रस्ताव को लेकर मोदी सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच मतभेद हो चुके हैं। उस वक्त उर्जित पटेल ने सरकार के प्रस्ताव पर असहमति जताई थी। कथित तौर पर इन्हीं मतभेदों के चलते रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

हालांकि उर्जित पटेल ने इस बात से इनकार कर दिया था कि उन्होंने इस मतभेद के चलते इस्तीफा दिया। उर्जित पटेल दिसंबर 2018 में गतिरोध के बाद रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क के रिव्यू के लिए RBI और सरकार कमेटी गठित करने पर राज़ी हुए थे।

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