विश्व के कई बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रवाद को अपराधियों का हथियार बताया है। देश के वर्तमान हालात देखकर इस कथन पर भरोसा भी होता है।

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर आरोप है कि वो चंदन की लकड़ी की तस्करी कर रही है। आरोप है कि पतंजलि उच्च गुणवत्ता वाली चंदन की लड़की को छुपाकर उसको विदेश भेज रही है।

डायरेक्टर ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) और कस्टम्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि की 50 टन चंदन लकड़ी ज़ब्त की थी। कस्टम्स डिपार्टमेंट को शक था कि बेहतर क्वॉलिटी की ए और बी ग्रेड की लकड़ी को पतंजलि चीन एक्सपोर्ट कर रहा है जिसकी इजाज़त नहीं है।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि, अच्छे क्वालिटी वाली चंदन की लकड़ियों को सी ग्रेड के चंदन की लकड़ियों के साथ भेजा जा रहा था।चंदन की लकड़ी की तस्करी का मामला तो अब कोर्ट में है। लेकिन इस मामले की चर्चा चंदन की लकड़ी से ज़्यादा चीन को लेकर हो रही है।

ये सभी जानते हैं कि वर्तमान में देश में तथाकथित राष्ट्रवादी अक्सर अपना गुस्सा पाकिस्तान और चीन पर निकालते नज़र आते हैं। कई बार चीन की कंपनियों के खिलाफ मुहीम भी चल चुकी है। महाराष्ट्र के पुणे में कुछ हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने चीनी मोबाइल कम्पनियाँ विवो और ओप्पो के शोरूम में तोड़फोड़ भी की थी।

बाबा रामदेव को भी उसी तथाकथित राष्ट्रवादी खेमे से माना जाता है। रामदेव खुद भी कई बार ट्वीटर से लेकर सार्वजानिक तौर पर दूसरे देशों और विदेशी कंपनियों को फायदा पहुँचाने के खिलाफ बोलते नज़र आए हैं। चीन और पाकिस्तान के खिलाफ बोलने के लिए इस खेमे को वैसे भी कोई बहाना नहीं चाहिए।

लेकिन विडंबना यह है कि अब चीन को देश की कीमती लकड़ी के तस्करी के आरोप में बाबा रामदेव पकड़े गए हैं। रामदेव इस काम को अंजाम देने के लिए इतने उतावले हैं कि वो इस मामले को लेकर कोर्ट पहुँच गए हैं। साथ ही ये दावा कर रहे हैं कि इसमें कुछ गलत नहीं है।

चीन जो कि भारत का मित्र राष्ट्र नहीं है। डोकलाम में हाल ही में दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण रहे थे। अभी भी चीन वहां दखल दे रहा है। चीन पाकिस्तान की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। वो पाकिस्तान को पैसा और हथियार दोनों देता है।

दरअसल, ये पूँजीवाद का वहीं रूप है जो अपने गलत कामों पर पर्दा डालने के लिए फर्ज़ी राष्ट्रवाद का सहारा लेता है। इस व्यवस्था के लोग खुद उसी कार्यों से लाभ कमाते हैं जिसका वो जनता के बीच विरोध करते नज़र आते हैं।

रामदेव जो कि सालों से विदेशी कंपनियों के खिलाफ बोलते रहे हैं अब उनसे बिना किसी झिझक के हाथ मिला रहे हैं। हाल ही में एक फ़्रांस की कंपनी और पतंजलि के बीच पतंजलि में लगभग 5 हज़ार करोड़ निवेश की बात हुई है।

उसके अलावा बाबा रामदेव ने अपनी कंपनी की वस्तुओं को बेचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कंपनी जैसे अमेज़न और आदि से हाथ मिलाया है। इस समझौते से इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कंपनियों का लाभ बढ़ेगा। इन कंपनियों में कई विदेशी कम्पनियाँ भी हैं।

इस तथाकथित राष्ट्रवादी खेमे में ये करने वाले रामदेव अकेले नहीं है। रामदेव को भाजपा का करीबी माना जाता है। वहीं वर्तमान में इस खेमे की सरदार भी है। रामदेव के अलावा भाजपा के करीबी माने जाने वाले उद्योगपति गौतम अडानी भी चीन से लोन लेने में लगे हैं। मोदी सरकार के करीबी माने जाने वाले अनिल अम्बानी ने भी चीन से हज़ारों करोड़ का कर्ज़ लिया हुआ है।

रामदेव भी अब इसी रास्ते पर चल रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार के गोद में बैठा मीडिया इस बात पर चर्चा नहीं करेगा। वो कभी ये सवाल नहीं उठाएगा कि कब चीन और पाकिस्तान में निवेश करने वाले उद्योगपतियों से उनकी देशभक्ति का हिसाब माँगा जाएगा। जहाँ तक जनता की बात है तो उसे रामराज्य और हिन्दू भारत का नारा देकर समझा दिया जाएगा।

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