भारत बंद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई तरह के सवाल उठ रहे है। आजाद हिंदुस्तान में पहली बार ऐसे हालात बने कि देश के हर राज्य में  सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी हुई। आखिर ऐसा क्या फैसला किया जो बॉम्बे हाईकोर्ट से चल सुप्रीम कोर्ट तक आ गया।

इस मामले में संविधान विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा ने कहा कि देश में कई लोगों की प्रदर्शन में जान गई। सर्वोच्च न्यायालय का हक है कि वह फैसला दे। लोगों का यह हक है कि वह सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार करे। और अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संसद राजी नहीं है तो संसद को इसे पलटने का हक है। इसमें हिंसा नहीं होनी चाहिए।

गौरतलब है कि 20 मार्च को एक आदेश में एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी और इसके तहत मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी।

एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोसिटीज़) एक्ट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अत्याचार और भेदभाव से बचाने वाला क़ानून है।

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से इस क़ानून का डर कम होने और नतीज़तन दलितों के प्रति भेदभाव और उत्पीड़न के मामले बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। दलित समाज की नाराज़गी को देखते हुए माना जा रहा है कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट इसी दलील का सहारा ले सकती है।

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