कोरोना के नाम यूपी में खूब फर्जीवाड़ा चल रहा है। इस बार बरेली में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। एक ही मोबाइल नंबर 7017….31 पर अब तक 7343 रजिस्ट्रेशन दिखा दिए गए हैं।
इनमें से अधिकांश लोगों की एंटीजन जांच दर्शाई गई है। कुछ लोगांें की एंटीजन और आरटीपीसीआर दोनों तरह की जांच कर दी गई। हैरान करने वाल बात तो यह है कि इनमें से किसी की भी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई है।
इससे साफ साफ पता चलता है कि यूपी में जांच के नाम जबर्दस्त फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस मामले को लेकर यूपी सरकार पर जमकर प्रहार किया है। उन्होंने इस मामले को घोटाले का नाम दिया है।
रोहिणी ने ट्वीटर पर लिखा है कि बरेली से चौंकाने वाली खबर आई है. तो क्या यूपी में तेजी से फैल रहे कोरोना के मामलों को इस तरह से दबा रही है राज्य सरकार ? अफसरों की टोली फर्जी आंकड़ों को तैयार करने में जुट गई है.
रोहिणी कहती है कि आप खुद कल्पना कीजिए. एक मोबाइल नंबर पर 7343 बार कोरोना की जांच होती है. क्या ऐसा होना संभव है ? इतना बड़ा घोटाला, इतना बड़ा फ्रॉड ?
दरअसल बरेली में कोरोना का पहला केस पिछले साल 28 मार्च को मिला था। इसके बाद यहां कोरोना का केस बढ़ता चला गया। वर्ष 2020 की जुलाई से लेकर अक्टूबर तक बरेली में 10 हजार लोग कोरोना संक्रमित हो गए।
हर जगह की तरह धीरे धीरे यहां कोरोना का प्रभाव कम होने लगा तो जांच कराने वाले लोगों की संख्या भी धीरे धीरे कम होने लगी लेकिन सरकार की ओर से विभाग पर जांच का दबाव बना हुआ था।
इस दौरान लोग तो जांच कराने नहीं आते थें लेकि विभाग जांच करता रहता था यानी कि फर्जीवाड़ा होता रहता था।
जांच का लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग के कर्मचारियों ने घोटाला करना शुरु कर दिया। इधर उधर से फर्जी नामों को निकाल पर पोर्टल पर दर्ज किया जाता रहा और इसकी सूचना सरकार को भेजा जाने लगा।
मामले का पर्दाफाश तो तब हुआ जब विभाग के एक वरिष्ठ कर्मचारी बातों ही बातों में इस बारे में अचानक से बोल उठें।
जांच शुरु हुई तो सच तुरंत सामने आ गया। एक ही नंबर पर 7343 लोगों की कोरोना जांच कराने की बात सामने आ गई।