भले ही योगी सरकार हर रोज एनकाउंटर कर रही यूपी पुलिस की पीठ थपथपा रही हो लेकिन सच्चाई ये है कि प्रदेश अपराध मुक्त होने के बजाय डर के साए में जीने को मजबूर हो रहा है।

पहले युवाओं को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जा रहा है फिर शिकायत करने पर उनके परिजनों को परेशान किया जा रहा है, घर के पुरुष सदस्यों पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया जा रहा है।

फर्जी एनकाउंटर और फिर परिजनों को प्रताड़ित करने की एक-दो कहानियां नहीं हैं बल्कि अकेले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दर्जनों ऐसे मामले हैं।

इसपर इंडिया टुडे में ग्राउंड रिपोर्ट किया है जिससे योगी सरकार और उनकी पुलिस की पोल खुलती नजर आ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 1 साल में 1200 से ज्यादा एनकाउंटर हो चुके हैं जिनमें 40 मामलों में कथित अपराधियों को मार गिराया गया है जबकि 247 कथित अपराधी घायल हुए।

यूपी पुलिस अपराध खत्म करने का दावा कर रही है मगर ग्राउंड रिपोर्ट ठीक उलट कहानियां बयां कर रही हैं।

कैराना में रहने वाली नौशाद पिछले साल 29 जुलाई पर कथित तौर पर एनकाउंटर में मारे गए लेकिन अब उनका परिवार डर के साए में जी रहा है। परिजनों के मुताबिक, मुठभेड़ की खबर फर्जी है लेकिन उसको चुनौती देने की वजह से घर के सभी पुरुष सदस्यों पर गैंगरेप मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।

इंडिया टुडे इस मामले से जुड़े दस्तावेज अपने पास होने का दावा करता है कि नौशाद के घर वालों ने 3 अगस्त 2017 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में मुठभेड़ को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी और उसके ठीक अगले ही दिन यूपी पुलिस ने उनके घर आकर नौशाद के भाई चाचा समेत सभी पुरुष सदस्यों पर गैंग रेप का केस दर्ज किया गया है।

इसी तरह बागपत के सुमित सिंह की भी  कहानी है।

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