आगामी राजस्थान विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के प्रचार के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर में एक रैली की। उनकी इस रैली में किसानों को लुभाने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई। गांव

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किसानों से वादा करते हुए कहा कि अगर प्रदेश में उनकी दोबारा सरकार बनती है तो किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी।

इस रैली के दौरान बीजेपी सरकार ने बताया कि उसने किसानों की हालत सुधारने के लिए बहोत काम किए हैं। किसानों के लिए शुरु की गईं कई योजनाओं का ज़िक्र करते हुए सत्ताधारी बीजेपी ने दावा किया कि उसके राज में किसानों का विशेष ख्याल रखा गया है।

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लेकिन अब सवाल यह उठता है कि दावे के मुताबिक अगर बीजेपी की सरकारों ने किसानों के लिए इतना ही काम किया है तो फिर किसानों में बीजेपी के खिलाफ़ आक्रोश क्यों है।

किसान क्यों अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते नज़र आ रहे हैं। अगर सच में बीजेपी के राज में किसानों का उद्धार हुआ है तो वो अपनी मांगों को मनवाने के लिए हरिद्वार से दिल्ली तक की पैदल यात्रा क्यों करते दिखाई दे रहे हैं।

अगर सच में बीजेपी किसान हितैशी है तो किसान उसका विरोध क्यों कर रहे हैं। क्यों उत्तर प्रदेश के कई गावों में किसानों ने बीजेपी नेताओं के आगमन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा के एक गांव के बाहर तो किसानों ने बोर्ड भी लगा दिया गया है। जिसमें साफ़ तौर पर लिखा है, ‘बीजेपी वालों का इस गांव में आना सख़्त मना है। जान माल की स्वंय रक्षा करें’।

बता दें कि हाल ही में यूपी की पुलिस ने किसान क्रांति यात्रा पर निकले किसानों को दौड़ा-दौड़ाकर बेरहमी से पीटा था। यह किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करना चाहते थे लेकिन यूपी की पुलिस ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया था और इनकी जमकर पिटाई की थी। किसान इसी बात को लेकर बीजेपी से नाराज़ हैं।

किसानों की मानें तो बीजेपी अपने चुनवी भाषणों में किसानों के हित की बातें तो ख़ूब करती है। लेकिन किसानों के लिए करती कुछ नहीं।

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भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ मंडल उपाध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल सिंह का कहना है कि बीजेपी ने 2014 के घोषणापत्र में किसानों से जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया, जिससे किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरकार किसानों का दर्द नहीं सुन रही। इसका ख़ामियाज़ा उसे 2019 में भुगतना पड़ेगा।

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