ख़ून-पसीना एक करके हम सभी के लिए अनाज उगाने वाले किसानों ने महाराष्ट्र की सड़कों को लाल झंडों से पाट दिया है। किसान चाहते हैं कि उन्हें फ़सल उगाने की लागत से डेढ गुना ज़्यादा कीमत मिले।
स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के सुझावों को मानने से इनकार करके सरकार ने किसानों को बार-बार सड़कों पर निकलने पर मजबूर किया है।
एक तरफ किसान खेतों में मर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ एसएससी की परीक्षा में घपला करके इनके बच्चों के भविष्य को मारा जा रहा है।
बार-बार सेना की शहादत पर राजनीति करने वालों से यह पूछना चाहता हूँ कि ये जवान भी तो गरीब, किसान और मजदूर के ही लाल हैं फिर इनके ऊपर यह अत्याचार कब तक करते रहोगे?