किसान आन्दोलन की जीत का ऐलान हो चुका है। एक साल पहले संविधान दिवस के दिन शुरू हुआ किसान आन्दोलन आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व-संध्या पर अपने विजयी समापन की ओर बढ़ रहा है।

गुरुवार सुबह सरकार की तरफ से आधिकारिक चिट्ठी मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आन्दोलन ख़त्म करने का ऐलान कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने भारत सरकार की तरफ से मिली चिट्ठी को शेयर करते हुए लिखा है, ”आंदोलन समाप्ति की घोषणा। 11 दिसम्बर से मोर्चे खाली करेंगे किसान”

मीडिया से बात करते हुए राकेश टिकैत ने भी कहा है कि ”11 दिसंबर से सभी बॉर्डर खाली होना शुरू हो जाएंगे।”

संयुक्त किसान मोर्चा ने आन्दोलन की वापसी की घोषणा करते हुए कहा है, हम एक अहंकारी और तानाशाही सरकार को झुका कर यहां से जा रहे हैं।

 

बता दें कि मोदी सरकार ने किसानों की पांच मांगों को मान लिया है।

1. एमएसपी के लिए कमेटी बनाने की घोषणा हुई है।

2. आन्दोलनकारियों और समर्थकों पर दर्ज आन्दोलन संबंधित सभी मामलों को तत्तकाल प्रभाव से वापस लेने की घोषणा हुई है।

3. मुआवजा के लिए यूपी और हरियाणा सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है, वहीं पंजाब सरकार ने सार्वजनिक घोषणा की है।

4. बिजली बिल को लेकर पहले किसानों से चर्चा करने और फिर संसद में बिल पेश करने का वादा किया गया है।

5. पराली जलाने संबंधी कानून की धारा 14 और 15 में क्रिमिनल लायबिलिटी से किसानों को मुक्त कर दिया गया है।

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