सुस्त अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई सरकारी बैंकों के विलय का ऐलान कर दिया है। वित्त मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कुल 17 सरकारी बैंकों का 5 बैंकों में विलय कर दिया। ये पहले 27 बैंक थे जो अब विलय करने के बाद 12 बच रहें है।

साथ ही सरकार ने 250 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन की मॉनिटरिंग के लिए स्पेशलाइज्ड एजेंसियां बनाए जाने का भी ऐलान किया है। वित्त मंत्री ने ऐलान करते हुए कहा कि पंजाब नेशनल बैंक के साथ ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का मर्जर होगा।

वहीं इस मर्जर के बाद पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। तीनों बैंकों के बाद बनने वाले नए बैंक की देशभर में 11437 शाखाएं हो जाएंगी। वहीं, केनरा बैंक का सिंडिकेट बैंक के साथ मर्जर होगा।

वित्त मंत्री ने बताया कि इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में मर्जर होगा। वहीं, यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का आपस में मर्जर होगा। मर्जर के बाद यह देश का पांचवा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा।

वित्त मंत्री ने एक बार फिर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को लेकर कहा कि देश 5 लाख करोड़ डॉलर इकोनॉमी बनने की ओर बढ़ रहा है। सरकार ग्रोथ को रफ्तार देने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है।

वहीं पिछले दिनों रिज़र्व बैंक से मोदी सरकार ने जो पैसे लिए है। अब उसे वो बैंकों में लगाने जा रही है, पहली नज़र में देखने में तो यही लगता है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि पंजाब नैशनल बैंक को 16,000 करोड़, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,700 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा को 7,000 करोड़, केनरा बैंक को 6,500 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक को 2,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।

इसके अलावा इंडियन ओवरसीज बैंक को 3,800 करोड़, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 3,300 करोड़, यूको बैंक 2,100 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1,600 करोड़ और पंजाब ऐंड सिंध बैंक को 750 करोड़ रुपये मिलेंगे।

अब सवाल फिर वही उठता है कि क्या सरकार के इस कदम से रूठे हुए निवेशक वापस आयेंगे? क्या वो एक बार फिर से बाज़ार अपनी रफ़्तार पकड़ पाएगा? ये बड़ा सवाल है। क्योंकि सरकार ने बैंकों के घाटे पूरे करने के लिए अपने तरफ से पैसे लगाने का ऐलान तो कर दिया है। मगर सवाल अब भी वही है कि क्या अर्थव्यवस्था फिर पटरी पर लौट पाएगी या फिर इसमें अभी और बड़े बदलाव करना बाकी है।

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