पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी और मोदी सरकार की नज़दीकियों को लेकर अब कई मामले सामने आ रहे हैं। इस कारण सरकार की भूमिका संदेह के घेरे में आ रही हैं।

बता दें, कि पीएनबी बैंक में 12,600 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। एक टीवी चैनल ने घोटाले से जुड़े दस्तावेज़ों के आधार पर इस घोटाले को 29000 करोड़ रुपये का बताया है। इस घोटाले में आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी हैं।

नीरव मोदी देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के रिश्तेदार हैं। मुकेश अंबानी को मोदी सरकार का करीबी माना जाता है। हाल ही में स्विटज़रलैंड के दावोस शहर में हुए वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की बैठक में नीरव मोदी को भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ देखा गया था। घोटाले का खुलासा होने से पहले ही वो देश छोड़कर भागने में कामयाब रहे।

द वायर पर प्रकशित एक खबर के अनुसार, केंद्रीय वित्त सचिव हसमुख अढ़िया को 2016 में दीवाली के मौके पर नीरव मोदी की ओर से 2 लाख रुपये के सोने के बिस्किट मिले थे। हसमुख अढ़िया मोदी सरकार में सबसे प्रभावशाली नौकरशाहों में से एक हैं। देश में लगभग सभी वित्तीय मामलों और संस्थाओं को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं।

हसमुख अधिया ने इस आरोप को नकार दिया है कि बिस्किट नीरव मोदी की ओर से भेजे गए थे लेकिन ये ज़रूर माना है कि उन्हें सोने के बिस्किट उपहार के रूप में मिले थे। इन बिस्किट को हसमुख अढ़िया ने तोशखाना (सरकार का एक विभाग जिसमें सरकारी नौकरशाह उनको मिले महंगे उपहार जमा करा सकते हैं) में जमा करा दिया।

संदेह इस बात पर है कि जब द वायर ने अधिया से सोने के बिस्किट मिलने पर सवाल पूछा तो उन्होंने पहले इस बात से इनकार कर दिया और बाद में मान लिया। तोशखाना में हसमुख अढ़िया द्वारा सोने के बिस्किट जमा कराने की कोई एंट्री नहीं की गई है। द वायर के पूछने में तोश्खाना ने ये भी नहीं बताया कि ये उपहार भेजा किसने है।

लेकिन सवाल ये है कि अढ़िया ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई के पास क्यों नहीं गए? सरकार में सबसे प्रभाशाली अधिकारी को इस तरह महंगे उपहार देना रिश्वत देने जैसा है। फिर भी क्यों अधिया ने उपहार देने वाले को एक सख्त सन्देश देते हुए जांच की पहल क्यों नहीं की।

पूर्व व्यय सचिव ईएएस सर्मा कहते हैं कि हसमुख अढ़िया को जांच के आदेश देने चाहिए थे। इस ओहदे पर बैठे किसी अधिकारी को सोने के बिस्किट उपहार में देना कोई सामान्य बात नहीं है। अढ़िया को जांच के आदेश देकर एक सख्त संदेश देना चाहिए था।

सर्मा ने बताया कि कैसे उनके समय में एक सीनियर अधिकारी पीवीआरके प्रसाद को दीवाली के मौके पर मिठाई और लगभग 3 लाख रुपये उपहार के रूप में एक कॉन्ट्रैक्टर की ओर से मिले थे। लेकिन उन्होंने तुरंत उसके खिलाफ जांच की पहल की।

सर्मा ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ वित्तीय सचिव अढ़िया को महंगे उपहार देने के बाद जांच नहीं होती है तो ज़रूर सरकार में उसका हस्तक्षेप है।

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