अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी मूडीज के बाद अब बुधवार को एक और आर्थिक रेटिंग एजेंसी ने भारत की विकास दर (GDP) का अनुमान घटा दिया है। देश में एक तरफ जहां आर्थिक मंदी बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ जीडीपी सेवा क्षेत्र में सुस्ती, निवेश में कमी और मांग के चलते इसका सीधा असर देश की जीडीपी पड़ सकता है। ये दावा मूडीज रेटिंग एजेंसी ने बीते शुक्रवार को किया था।

मूडीज के बाद फिंच इंडिया रेटिंग ने इस साल GDP के 6.7 फीसदी रहने की संभावना जताई है। एजेंसी का पिछली बार यह अनुमान 7.3 फीसदी था।

वहीं मूडीज ने 2019 के लिए भारत की GDP ग्रोथ घटाते हुए अनुमान अनुमान बताया है। पहले एजेंसी ने इसे 6.8 प्रतिशत पर रखा था, जिसे घटाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया गया है।

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फिंच इंडिया रेटिंग ने कहा कि, “सरकार द्वारा मरहमपट्टी वाले तरीकों से अर्थव्यवस्था को किसी तरह का कोई लाभ नहीं पहुंचेगा। हालाँकि एजेंसी को उम्मीद है कि चालू खाता 3.3 फीसदी रहेगा। एजेंसी का यह भी कहना है कि सरकार को मंदी से उबरने के लिए आरबीआई से मिले 1.76 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा।”

मूडीज ने अपने बयान में कहा था कि, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का माहौल है, जिससे एशियाई देशों में भी असर देखने को मिला है। इससे निवेश का वातावरण भी प्रभावित हुआ है। गौरतलब है कि भारत से विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज छिन गया है। भारत अब विश्व की 7 वें पायदान पर खिसक गया है।

बता दें कि, मोदी सरकार ने जीएसटी की दरों को बढ़ाते हुए एक साथ कई सेक्टरों को झटका दिया है। इनमें ऑटो सेक्टर से लेकर टेलिकॉम सेक्टर और इंफ्रास्ट्रक्टर सेक्टर, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर, और आईटी सेक्टर शामिल है।

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टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 10 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार देती है। साथ ही ये इंडस्ट्री किसानों के उत्पाद जैसे कपास, जूट वगैरह भी खरीदती है। लेकिन मौजूदा समय में टेक्सटाइल इंडस्ट्री का दावा है कि वह संकट से ग़ुज़र रही है। इस संकट की ओर सरकार का ध्यान खींचने के लिए ही इंडस्ट्री ने अख़बार में ये विज्ञापन दिया है। इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार दिक्कतों को हल करने की दिशा में ज़रूरी कदम उठाए।

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