जनवरी 1930 की बात है। ‘लाहौर कांस्पीरेसी केस’ की सुनवाई चल रही थी। भगत सिंह और उनके तमाम साथी इस मामले में आरोपित थे। 21 जनवरी (लेनिन की मौत की वार्षिकी) के दिन ये सभी आरोपित लाल रुमाल बांधकर अदालत में दाखिल हुए।

मजिस्ट्रेट के पहुंचते ही भगत सिंह और उनके साथियों ने नारे लगाने शुरू किये – ‘समाजवादी क्रांति जिंदाबाद’, ‘कम्युनिस्ट इंटरनेशनल जिंदाबाद’, ‘लेनिन का नाम अमर रहे’, ‘साम्राज्यवाद का नाश हो।’

इन नारों की गूंज के बाद भगत सिंह ने एक टेलीग्राम निकाल कर अदालत में पढ़ा और मजिस्ट्रेट से आग्रह किया कि इस टेलीग्राम को ‘थर्ड इंटरनेशनल’ (कम्युनिस्ट इंटरनेशनल) भिजवा दिया जाए।

तार में लिखा था:

‘लेनिन दिवस के अवसर पर हम उन सभी को हार्दिक अभिनंदन भेजते हैं जो महान लेनिन के आदर्शों को आगे बढाने के लिए कुछ कर रहे हैं। हम रूस द्वारा किये जा रहे महान प्रयोग की सफलता की कामना करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन का समर्थन करते हैं। सर्वहारा की जीत होगी। पूंजीवाद की हार होगी। साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।’

 

ये लेख पत्रकार राहुल कोटियाल की फेसबुक वॉल से साभार है

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