यूपी में अभिव्यक्ति की आजादी का पतन हो चुका है। नैतिक मूल्यों का पतन हो चुका है। सरकारी तंत्रों का पतन हो चुका है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने इस मुद्दे को लेकर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है।

रिटायर्ड आईएएस ने अपने पत्र में लिखा है कि उत्तर प्रदेश आज देश का एक ऐसा प्रदेश बन गया है जहां पर अभिव्यक्ति की आजादी और सरकारी तंत्र का पतन हो चुका है और ये सब मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं।

मैंने इस मामले को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखा है और मुझे उम्मीद है कि इस पर ध्यान दिया जाएगा।

सूर्यप्रताप सिंह कहते हैं कि आज उत्तर प्रदेश में प्रत्यक्ष को भी प्रमाण की आवश्यक्ता पड़ने लगी है। इस प्रदेश में सच बोलना और सच लिखना दोनों ही किसी अपराध से कम नहीं है।

मीडिया को भी पूरी तरह से बंधक बना लिया गया है। छात्र प्रदर्शन करने से डर रहे हैं. वहीं गरीब जनता पर सरकारी जुल्म भी अपनी पराकाष्ठा पर है।

रिटायर्ड आईएएस ने आरोप लगाया है कि यूपी में आज जो भी हो रहा है, वो अघोषित आपातकाल है, तानाशाही है, तुगलकी राज है।

आज यूपी का हाल यह है कि अगर कोई भी पत्रकार अगर सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाता है तो उस पर मुकदमा कर दिया जाता है। कोई पत्रकार अगर सवाल पूछ ले तो उस मीडिया संस्थान का विज्ञापन बंद कर दिया जाता है।

वहीं सूर्यप्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को छोड़िए, उनके तथाकथित सलाहकारों का ये हाल है कि वो खुलेआम लोगों को कानूनी कार्रवाई यानी फंसाने की धमकी देते हैं। पैसों से बनाया गया ये तंत्र लोगों पर निजी हमले और गाली गलौज करने से भी पीछे नहीं हटता।

उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे प्रदेश में जी रहे हैं जहां अपराध चरम पर है लेकिन कोई सवाल नहीं पूछ सकता! जहां बेरोजगारी पराकाष्ठा पर है लेकिन छात्र अपने हक में आंदोलन, प्रदर्शन भी नहीं कर सकते हैं।

सूर्यप्रताप सिंह ने उम्मीद जताई है कि महामहिम राष्ट्रपति जी इस प्रकरण का संज्ञान लेंगे और यूपी में चल रहे अघोषित इमरजेंसी और तानाशाही पर हस्तक्षेप करेंगे।

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