भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था में मंदी को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती से निपटने के लिए सरकार की ओर से बड़े कदम उठाए जाने की ज़रूरत है।

समाचार एजेंसी पीटीआई (पीटीआई) को दिए इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि देश में मंदी और गहरा सकती है। उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर दो दशक के सबसे ख़राब दौर से गुज़र रहा है। इसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी कंपनियों पर भी पड़ा है। इस सेक्टर में अभी तक हजारों नौकरियों जा चुकी है। वहीं, FMCG कंपनियों में वॉल्यूम ग्रोथ में कमी आई है।

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आप चारों तरफ कारोबारियों की चिंता सुन सकते हैं कि उन्हें राहत पैकेज की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द बिजली और एनबीएफसी सेक्टर के संकट से निपटना होगा और प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए सुधार लागू करने होंगे।

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राजन ने मोदी सरकार में चीफ इकॉनमिस्ट रहे अरविंद सुब्रमण्यम की रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें विकास दर को अधिक अनुमानित करने की बात का जिक्र है। उन्होंने कहा कि विकास दर को लेकर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा कई प्रकार के अनुमान दिए जाते हैं, जो सरकार के आंकड़ों से अलग हो सकते हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था में मंदी वाकई चिंता का विषय है।

राजन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को नए तरह के सुधारों की जरूरत है। सिर्फ इक्का-दुक्का बड़े कदम से काम नहीं चलने वाला है। सुधार करने वालों का इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि हम भारत के लोग भारत को कहां देखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि शीर्ष स्तर पर यह तस्वीर साफ़ होनी चाहिए कि हम कैसी अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेना कोई सुधार नहीं है, बल्कि एक फौरी कदम है। जरूरत यह है कि विकास किस तरह से 2-3% बढ़ाया जाए।

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