उत्तर प्रदेश में भले ही सबसे ज्यादा बेरोजगारी (Unemployment) हो। मगर योगी सरकार इसमें और सुधार करने के बजाय रोजगार को ही ख़त्म करने की तैयारी में है। पत्रिका में छपी एक खबर की मानें तो योगी सरकार चतुर्थ श्रेणी (FOURTH CLASS) के पदों पर अब भर्ती बंद करने का विचार कर रही है। खासबात ये है कि इस श्रेणी में सृजित माली, मिस्त्री, मैकेनिक, प्लंबर जैसे कई पदों पर नई नियुक्तियां रोकी जा सकती हैं।

दरअसल मीडिया में छप रही रिपोर्ट के मुताबिक, योगी सरकार (Yogi Government) खर्च बचाने के लिए कई अहम फैसले ले रही है। जिसके तहत कि सरकार संसाधनों का अधिकतम उपयोग विकास कार्यों में करने, सरकारी खर्चों में फिजूलखर्ची रोकने और कंप्यूटरीकरण की वजह से सरकारी सिस्टम में जहां भी मानव संपदा की कमी संभव है, उसे चिह्नित कर कम करने पर विचार कर रही है।

खबरों की माने तो चिकित्सा और पुलिस को छोड़कर अन्य विभागों में नए पदों के सृजन पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा खर्चों में कटौती के लिए सरकार अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी में है।

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इससे पहले भी इस तरह का फैसला हुआ मगर ठीक से इसे लागू नहीं किया गया है। क्योंकि चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियमित भर्ती पर रोक पहले से है। मौजूदा सरकार विशिष्ट तकनीकी कार्यों के लिए सृजित वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, मिस्त्री, लिफ्टमैन, एसी मैकेनिक की सभी सेवाएं आउटसोर्सिंग से कराने की छूट देने की योजना है।

वही इससे पहले CMIE सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, त्रिपुरा में बेरोजगारी दर 31.2 % है। इसके बाद दिल्ली जहां बेरोजगारी दर 20.4 % है। वहीं हरियाणा में यह दर 20.3 % है।

सर्वे में टॉप 10 में शामिल अन्य राज्यों में हिमाचल प्रदेश में 15.6, पंजाब 11.1, झारखंड 10.09, बिहार 10.3, छत्तीसगढ़ 8.6% और उत्तर प्रदेश में 8.2% बेरोज़गारी दर है।

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अब ऐसे में गौर करने वाली बात ये है कि जब प्रदेश में पहले से ही रोज़गारी दर में औसत दर्जे का प्रदर्शन कर पाया है उसमें ये आकड़े प्रभावित हो सकते है। अगर इसे लागू कर दिया जाता है तो  ये आकड़ा 8.2% से बढ़कर कहीं ज्यादा हो सकता है।

बता दें कि CMIE के सर्वे के मुताबिक, वर्तमान में देश में बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 8.18 प्रतिशत है। भारतीय राज्यों के इस मासिक सर्वे में 43,600 घरों को शामिल किया गया है।

आंकड़ों के मुताबिक, त्रिपुरा की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से 3.8 गुना अधिक है, जबकि दिल्ली और हरियाणा की दरें राष्ट्रीय औसत से 2.5 गुना अधिक हैं।

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