भारत की विकास दर, यानी की GDP ग्रोथ 8% से गिरकर 5% हो गयी है। अप्रैल-जून 2019 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ 5% हो गयी है जबकि यही ग्रोथ पिछले साल इसी अवधि के लिए 8% थी। इन आंकड़ों को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जारी किया है। पिछले 25 तिमाहियों में ये भारत की सबसे कम ग्रोथ है।

ध्यान देनी वाली बात है कि आज ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, यानी की पीएसयू के विलय की बड़ी घोषणा की है। अब देश में 27 के बजाए 12 पीएसयू हैं। सरकार का कहना है कि बैंकों के इस विलय का कारण है भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाना है।

जेटली के बाद निर्मला दूसरी ऐसी नेता हैं जो पूरे आत्मविश्वास के साथ देश के सामने ‘झूठ’ बोलती हैं

सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के कारण पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक अब एक हो जाएँगे। ये अब देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंकिंग समूह बन जाएगा जिसका व्यापर Rs 17.95 लाख करोर का होगा। इसी कड़ी में केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक भी एक हो जाएँगे।

इसी तरह इंडियन बैंक और इलाहबाद बैंक भी एक हो जाएँगे। साथ ही में यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक का भी विलय होगा।

वित्त मंत्री ने घोषणा के समय ये भी कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय किया जा रहा है ताकी वो सशक्त बनाए जा सकें। ध्यान देने वाली बात है की सरकार का ये फेसला तब आया है जब भारत की GDP ग्रोथ मात्र 5% है।

ये फैसला तब आया है जब RBI ने बताया कि भारत के बैंकिंग सिस्टम में 74 प्रतिशत धोखाधड़ी वित्त वर्ष 2018-19 में बढ़ गयी है। अब सवाल उठता है कि क्या सरकार का ये फैसला इन आंकड़ों को ढकने के लिया गया है?

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