त्रिपुरा में जीत के हीरो माने गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने ही घर में हार चुके है। सवाल उठने लगे है की आखिर गोरखपुर में बीजेपी की हार का कारण क्या है?

हार की सबसे बड़ी वजह सपा और बसपा का गठबंधन बताया जा रहा क्योकिं दलित वोट एसपी को मिले इसलिए बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। मगर सोशल मीडिया पर चल जानकारियों के मुताबिक ये आधा सच है।

दरअसल गोरखपुर में 25 साल बाद किसी को ब्राहमण को टिकट दिया गया। ये बात किसी गोरखनाथ मंदिर के मठ के लोगों को पसंद नहीं आई।

ऐसा दावा है सोशल मीडिया पर चले संदेशों का सोशल मीडिया पर कई जगह ये बात लिखी जा रही है की गोरखपुर में हुए उपचुनाव में गोरखनाथ मठ के बूथ पर वोटों को संख्या में समाजवादी पार्टी को 1775, कांग्रेस को 56 वोट भाजपा को उससे भी कम 43 वोट मिला है। अब ये इस बात में कितना सच है कितना झूठ ये तो सीएम योगी ही जाने।

मगर इतना तो तय हो गया की बीजेपी को ये हार लम्बे समय तक एक बुरे सपने की तरह ये हार याद आती रहेगी। क्योकिं समाजवादी पार्टी के प्रवीण कुमार निषाद की जीत इतनी आसन नहीं थी। अगर उन्हें मठ का  समर्थन प्राप्त नहीं हुआ तो भी उनके लिए मुश्किल हो सकती थी।

इस बात की जानकारी खुद प्रवीण निषाद ने दी जिन्होंने करीब 20 हज़ार के ज्यादा अंतर से बीजेपी उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ला को हराया है।

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